: राधास्वामी!! 01-04-2020- आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) राधास्वामी लिया अपनाय सखी री। शोभा अदभुत आज लखी री।। राधास्वामी नाम सदा जपना री। राधास्वामी दरस आज तकना री।। (सारबचन-शब्द-5,पृ.सं. 65)
(2) सुरतिया गाय रही। गुरु महिमा सार।। मुरली धुन सुन बीन बजावत। भेंटी जाय सत्त करतार।।
(प्रेमबानी-2,शब्द-83,पृ.सं.213)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
Radhasoami
GRACIOUS HUZUR came in the khet where we 30 people are doing Katai and Said " Huzur Sahabji Maharaj kehte the ki jo jyaada seva karta hai, vo Haathi ka Sawaari karenge. Aaplog LOCKDOWN hote hue bhi seva karne aaye hai, aap sabhi log Haathi ka Sawaari karenge. Huzur Radhasoami Dayal ki daya Aap per bahut hai Radhasoami " Ani annaru..
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Memorable moments for lifetime 😊🥰
D Satsangi:
राधास्वामी!! 01-03-2020 आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) चरन गुरु ध्याओं री। तज जग भय आस।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-1(प्रेम तरंग),पृ.सं.208)
(2) संत की महिमा कहूँ गाई। पिरेमी जन सुन हर्षाई।। रहें कोई बिरले जिव ऐसे। डरें दुख औरन जो देते।।
जहाँ तक बने न करते काम। किसी की जिससे होवे हान।। (प्रेमबिलास-शब्द-91,पृ.सं. 131)
(3) सतसंग के उपदेश भाग -3,कल से आगे।। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी !! 01-04 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-(97) बाज लोग सतगुरु की महिमा सुनकर घबरा जाते हैं। वजह यह है कि उन्हें मालूम नहीं है कि सतगुरुगति किसे कहते हैं । जैसे तांबे के तार देखने में एक मामूली व कमहैसियत चीज है लेकिन क्योंकि उसमें यह गुण है कि उस पर बिजली के धार बअसानी रवाँ हो सकती है इसलिए यह तार एक बड़ी कारआमद (काम की) व बेशकीमती चीज बन जाती है। तांबे की तार पर रवाँ होकर बिजली हमारे सैकडों काम करती है। हमारे घरों से अंधेरा दूर करती हैं, पानी खींचती है और हमें बेहद तकलीफ से बचाती है। इसी तौर पर हरचंद सतगुरु देखने में साधारण पुरुष होते हैं लेकिन चूँकि उनमें यह गुण होता है कि उनकी सूरत या आत्मा का सच्चे मालिक की परम चेतन धार से बराहेरास्त मेल रहता है इसलिए मनुष्यों को उनके द्वारा बेसुमार लाभ प्राप्त होते हैंः- उनके घट का अंधकार दूर होता है , अंतर में अमृतरस प्राप्त होता है और काल और कर्म के अनेक दुखों से रिहाई मिलती है ।इस वजह से सतगुरु संसार में एक दुर्लभ रत्न करार पाते हैं। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा
राधास्वामी
राधास्वामी
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