राधास्वामी!! 31-03-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) दरस पिय मन बिगस रहा। गुरु लागे प्यारे री।। (प्रेमबानी-3,शब्द-12,पृ.सं. 208)
(2) संत की महिमा कहूँ गाई। पिरेमी जन सुन हर्षाई। (प्रेमबिलास-शब्द-91,पृ.सं. 129)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग-3,कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!! 31- 03 -2020-
कल से आगे-( 96) राधास्वामी मत के साधन उस शख्स के लिए है जो साधन किया चाहता है और स्थूल ज्ञानइंद्रियों से परे के घाटों का ज्ञान हासिल करने का शौक रखता है। जो लोग विश्वास रखते हैं कि स्थूल ज्ञानेंद्रियों की मार्फत प्राप्त ज्ञान के अलावा ज्ञानेंद्रियों की मार्फत प्राप्त ज्ञान के अलावा और कोई ज्ञान ही नहीं है वे गलती पर है।
कौन नहीं जानता कि ज्ञानेंद्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान हमेशा सही नहीं होता। सैकड़ों आदमियों को अंधेरे में भूत दिखलाई देने लगते हैं और फासले पर चमकता हुआ रेत पानी नजर आता है ।
वैज्ञानिक पुरुषों के बेशुमार दावे गलत साबित हो चुके हैं। बावजूद इन सब बातों के महज स्थूल ज्ञानेंद्रियों के भरोसे बैठे रहना अगर गलती नहीं तो क्या है? लेकिन इसके यह मानी नहीं है कि आज से हर शख्स अपनी स्थूल ज्ञानेंद्रियों से काम लेना बंद कर दे ।मतलब यह है कि उनसे काम जरूरी लिया जावे लेकिन उनसे बढ़कर और बेहतर ज्ञान प्राप्त कराने वाली सूक्ष्म व चेतन ज्ञानेंद्रियों को भी जगाने की फिक्र की जावे।
राधास्वामी- मत के साधन इस फिक्र के पैदा होने पर काम आते हैं ।
🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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