**राधास्वामी!! 04-04-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) मूरख मनुआँ भोग न छोडै। याहि कस समझाऊँ री। (प्रेमबानी-3,शब्द-5,पृ.सं.213) (2) मनुआँ हठीलि माने न बात, भोगन में रस लेत।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-93,पृ.सं-134)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा -कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
*
*राधास्वामी!! 04- 04-2020
आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन- कल से आगे:- (101) अगर किसी मनुष्य की सुरत के ऊपर से सब के सब शारीरिक व मानसिक खोल उतार दिए जावें तो नतीजा यह होगा कि उसकी सुरत हर प्रकार के शारीरिक व मानसिक दुखों से, स्थूल व सूक्ष्म शक्तियों के असरों से और शरीर व मन के सभी कैदो से आज़ाद हो कर अपने निर्मल चेतन स्वरूप में प्रकट हो जावेगी और बेरोक अपने असली अंगों यानी सत्ता, चेतनता और आनंद वगैरह में बरतने लगेगी और अगर उस वक्त उस सुरत का सच्चे मालिक से जो, सुरतशक्ति का भंडार है, वस्ल हो जाए तो उसकी वही हालत हो जाएगी जो मिट्टी से अलग होकर समुंद्र में पहुंच जाने पर पानी के कतरे की होती है । यह दुरुस्त है कि पानी का कतरा समुंदर नहीं है और उसमें समुंद्र की सी शान नहीं लेकिन बालियान जौहर के दोनों एक ही हैं और समुंद्र से मिलने पर कतरा समरूप हो जाता है। इसलिए कहा जाता है कि मालिक से मिलने पर सुरत मालिकरूप हो जाती है। जिस महापुरुष को यह गति जन्म से प्राप्त रहती है उसको संत अथवा राधास्वामी अवतार पुरुष मानते हैं और जो जन्म लेने के बाद साधन करते इस गति को प्राप्त होते हैं उन्हें गुरुमुखसंत कहते हैं। ऐसे महापुरुष केवल जीवो की सहायता के निमित्त संसार में तशरीफ लाते हैं और कयाम करते हैं। जो शख्स उनकी गति हासिल किया चाहता है मुनासिब की वह खोज करके उनकी शरण इख्तियार करें और उनकी आज्ञा अनुसार साधन करके अपनी अभिलाषा पूरी करें।।
🙏 राधास्वामी🙏**
No comments:
Post a Comment