Thursday, April 9, 2020

आज 09/04 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन




**राधास्वामी!! 09-04-2020-                        आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                           
  (1) जागी है उमँग मेरे हिये में। गुरु सतगुरु आरती करुँ मैं।। जग देखा काल का पसारा। माया ने उपाये भोग सारा।। (प्रेमबानी-3-शब्द-1,पृ. सं 215)                                                                                   
 (2)  कस जायँ री सखी मेरे मन के बिकार।। टेक।। अस अस रोग भरे मन मेरे। क्या कहूँ मुख से नाहिं शुमार।। (प्रेमबिलास-शब्द-96,पृ.सं.138)                                                           
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा- कल से आगे।।           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!

09-04 2020

 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

कल का शेष- (104 )-

 हुजूर राधास्वामी दयाल का बचन है-आज कल के दःखो में 95 फीसदी या तो मानन के दुःख है या गलत समझौती के कारण पैदा होते है।इसी वजह से सत्संग में चार तरह की कोशिश जारी है ।अव्वल यह कि उपदेश द्वारा लोगों को दुरुस्त समझोती दी जावे। मसलन अक्सर लोग अपने शरीर या अपनी औलाद बंधन के कारण दुखी दिखलाई देते हैं।  जाहिर है इन लोगों ने दुरुस्त समझोती न मिलने के कारण अपने शरीर व औलाद में बंधन कायम कर रखा है। सतसंग के उपदेश  सुनने से लोगों के ख्यालात में तब्दीली हो कर ये बंधन छूट जाते हैं और उनसे उत्पन्न होने वाले दुख नष्ट हो जाते हैं। दोयम यह कि रूहानी शक्तियों को जमा कर और अंतरी तजरुबों की मदद से मुतलाशु को दुनिया के सुखो व दुखों की असलियत और दुनिया के सामान की बदहैसियती दरसाई जाये। सोयम् यह कि दुनिया की जरूरियात के मुतअल्लिक़ मुनासिब इंतजाम व संस्थाएं काम करके दुखी या हाजतमंद सत्संगियों की मुनासिब मदद की जावे और चहारम यह कि परमार्थ की महिमा और परमार्थी निशाने की महत्ता चित्त में बसा कर उन्हे दुनिया से किसी कदर बेनियाज कराया जावे। जाहिर है कि अगर दया से इन कोशिशों का सिलसिला बराबर जारी रहा और सच्चे दिल से अपने अपने धर्म का पालन करते हैं तो एक दिन ऐसा आएगा कि सत्संग में बहुत ही कम दुखी लोग रह जाएंगे और उनकी जिंदगी का बेश्तर हिस्सा दुखो से पाक रहेगा। ।           
   🙏🏻राधास्वामी🙏🏻                                   
 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।।**



राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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