Saturday, April 11, 2020

आज 12/04 दिन मंगलमय हो




प्रस्तुति - कृष्ण मेहता:

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

⛅ *दिनांक 12 अप्रैल 2020*
⛅ *दिन - रविवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)*
⛅ *शक संवत - 1942*


⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - वसंत*
⛅ *मास - वैशाख  (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - चैत्र)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - पंचमी शाम 05:15 तक तत्पश्चात षष्ठी*
⛅ *नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 07:13 तक तत्पश्चात मूल*
⛅ *योग - वरीयान् रात्रि 08:55 तक तत्पश्चातम परिघ*
⛅ *राहुकाल - शाम 05:09 से शाम 06:43 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:23*
⛅ *सूर्यास्त - 18:55*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण -
 💥 *विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
💥 *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *खून बढ़ाने के लिए*
🏮 *खून बढ़ाने के लिए, गन्ने का रस पियें ।*
🍈 *बेल का फल सुखाकर उसके गूदे के चूर्ण में मिश्री मिलाकर लेने से भी खून की बढ़ोत्तरी होती है ।*
🙏🏻 *पूज्य बापूजी - Naimishyaran-26th March 2011*
          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *पित्तजन्य / गर्मी के कारण बीमारियाँ* 🌷
🌿 *धनिया, आंवला, मिश्री समभाग पीस के रख दें........एक चम्मच रात को भिगो दें और सुबह मसल के पियें तो सिर दर्द में आराम हो जायेगा, नींद अच्छी आएगी, मूत्र दाह, नकसीर में आराम होगा, लू से रक्षा होगी और पेट भी साफ रहेगा ।*
🙏🏻 *पूज्य बापूजी - Naimishyarany-26th March 2011*
          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *यशप्राप्ति का अदभुत मंत्र* 🌷
🙏🏻 *कौनसा भी कार्य की शुरवात करने से पहिले – ‘नारायण ... नारायण ..., नारायण ..., नारायण ...’ इसी मंत्र का सभी नर - नारी में छूपी सर्वव्यापक परमात्मा के नामस्मरण या उच्चारण करनेवालों को यश अवश्य मिलता है |*
🙏🏻 *- ऋषिप्रसाद (विशेषांक) –मई २०१५ से*

📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻


🌼 *असली पारस*🌼


*संत नामदेव* जी की पत्नी का नाम राजाई था और उनके पडोसी *परीसा भागवत* की पत्नी का नाम था कमला। कमला और राजाई शादी के पहले सहेलियाँ थीं।
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दोनों की शादी हुई तो पड़ोस-पड़ोस में ही आ गयीं। राजाई नामदेव जी जैसे महापुरुष की पत्नी थी और कमला परीसा भागवत जैसे देवी के उपासक की पत्नी थी।
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कमला के पति ने देवी की उपासना करके देवी से पारस माँग लिया और वे बड़े धन-धान्य से सम्पन्न होकर रहने लगे।
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नामदेव जी दर्जी का काम करते थे। वे कीर्तन-भजन करने जाते और पाँच- पन्द्रह दिन के बाद लौटते। अपना दर्जी का काम करके आटे-दाल के पैसे इकट्ठे करते और फिर चले जाते।
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वे अत्यन्त दरिद्रता में जीते थे, लेकिन अंदर से बड़े सन्तुष्ट और खुश रहते थे।
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एक दिन नामदेव जी कहीं कीर्तन-भजन के लिए गये, तो कमला ने राजाई से कहा कि तुम्हारी गरीबी देखकर मुझे तरस आता है। मुझे कष्ट होता है।
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मेरा पति बाहर गये हुए हैं, तुम यह पारस ले लो, थोड़ा सोना बना लो और अपने घर को धन धान्य से सम्पन्न कर लो।
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राजाई ने पारस लिया और थोड़ा सा सोना बना लिया। संतुष्ट व्यक्ति की माँग भी आवश्यकता की पूर्ति भर होती है। ऐसा नहीं कि दस टन सोना बना ले, एक दो पाव बनाया बस हो गई।
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नामदेव जी ने आकर देखा तो घर में बहुत सारा सामान, धन-धान्य…. भरा-भरा घर दिखा। शक्कर, गुड़, घी आदि जो भी घर की आवश्यकता थी वह सारा सामान आ गया था।
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नामदेव जी ने कहा- “इतना सारा वैभव कहाँ से आया राजाई ?“
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राजाई ने सारी बात बता दी कि परीसा भागवत ने देवी की उपासना की और देवी ने उनको पारस दिया। वे लोग खूब सोना बनाते हैं और इसीलिए दान भी करते हैं, मजे से रहते हैं।
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हम दोनों बचपन की सहेलियाँ हैं। मेरा दुःख देखकर उसको दया आ गयी।
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नामदेव जी ने कहा- “मुझे तुझ पर दया आती है पगली कि- सारे पारसों के पारस ईश्वर है, उसको छोड़कर तू एक पत्थर लेकर पगली हो रही है। चल मेरे साथ, उठा ये सामान !”
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नामदेव जी बाहर गरीबों में सब सामान बाँटकर आ गये। घर जैसे पहले था ऐसे ही खाली-खट कर दिया।
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नामदेव जी ने पूछा- “वह पत्थर कहाँ है ? लाओ !” राजाई पारस ले आयी। नामदेव जी ने उसे ले जाकर नदी में फेंक दिया। और कहने लगे- मेरे विट्ठल, पांडुरंग ! हमें अपनी माया से बचा।
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इस धन दौलत, सुख सुविधा से बचा...नहीं तो हम तेरा सुख भूल जायेंगे,जो हमे मंजूर नहीं है। ऐसा कहते कहते वे रोने लगे और फिर ध्यान मग्न हो गये। पर हमलोग तो धन के पीछे ही सारा जिवन बिता देते हैं और ये भक्तगण धन को घृणा करते हैं...और हमलोग प्यार करते हैं। यही फर्क है उनमें और हममे।
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स्त्रियों के पेट में ऐसी बड़ी बात ज्यादा देर तो नहीं ठहरती। राजाई ने अपनी सहेली से कहा कि ऐसा-ऐसा हो गया। अब सहेली कमला तो रोने लगी। पति आयेंगे तो क्या उत्तर देगी इसी सोच उसको बिचलित कर दी।
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इतने में परीसा भागवत आया, पूछाः- “कमला ! क्या हुआ,परेशान लग रही हो ? “
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वह बोली- “तुम मुझे मार डालोगे ऐसी बात है।“ आखिर परीसा भागवत ने सारा रहस्य समझा तो वह क्रोध से लाल-पीला हो गया।
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बोला- “कहाँ है नामदेव, कहाँ है वो ? कहाँ गया मेरा पारस, कहाँ गया ? “ और इधर नामदेव तो नदी के किनारे ध्यानमग्न थे।
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परीसा भागवत वहाँ पहुँचाः- “ओ ! ओ भगत जी ! मेरा पारस तो दीजिये।“
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नामदेव- पारस तो मैंने डाल दिया उधर (नदी में)। परम पारस तो है अपना पांडुरंग। यह पारस पत्थर क्या करता है ?
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मोह, माया, भूत-पिशाच की योनि में भटकाता है। पारस-पारस क्या करते हो भाई ! बैठो और पांडुरंग का दर्शन करो।
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“मुझे कोई दर्शन-वर्शन नहीं करना।“...मेरा पारस दे दो।

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“पारस तो नदी में डाल दिया।“
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“नदी में डाल दिया ! नहीं, मुझे मेरा वह पारस दीजिये।“
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“अब क्या करना है….. सच्चा पारस तो तुम्हारे भीतर ही है...श्रीकृष्ण….“
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“मैं आपको हाथ जोड़ता हूँ मेरे बाप ! मुझे मेरा पारस दो…. पारस दो…..मैं खुसी खुसी चला जाउंगा।“
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“पारस मेरे पास नहीं है, वह तो मैंने नदी में डाल दिया।“
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“कितने वर्ष साधना की, मंत्र-अनुष्ठान किये, सिद्धि आयी, अंत में सिद्धिस्वरूपा देवी ने मुझे वह पारस दिया है। देवी का दिया हुआ वह मेरा पारस तुमने नदी में फैंक दिया ?….“
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नामदेव जी तो संत थे। उनको तो वह मार नहीं सकता था,क्योंकि वो उनका मित्र भी था। अपने-आपको ही कूटने लगा।
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नामदेव जी बोले- “अरे क्या पत्थर के टुकड़े के लिए भगवान श्रीकृष्ण का अपमान करता है !”

‘जय पांडुरंगा !’ कहकर नामदेव जी ने नदीं में डुबकी लगायी और कई पत्थर ला के रख दिये उसके सामने।
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“आपका पारस आप ही देख लो।“
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देखा तो सभी पथ्थर पारस हैं ! “इतने पारस कैसे वो स्तब्ध रह गया !”
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“अरे, कैसे-कैसे क्या करते हो, जैसे भी आये हैं ! आप ले लो अपना पारस ढुंढ के !”
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“ये कैसे पारस, इतने सारे... !”
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नामदेव जी बोले- “अरे, आप अपना पारस पहचान लो।“
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अब सब पारस एक जैसे, जैसे रूपये-रूपये के सिक्के सब एक जैसे। आपने मुझे एक सिक्का दिया, मैंने फेंक दिया और मैं वैसे सौ सिक्के ला के रख दूँ और बोलूँ कि आप अपना सिक्का खोज लो तो क्या आप खोज पाओगे ?
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उसने एक पारस उठाकर लोहे से छुआया तो वह सोना बन गया। लोहे की जिस वस्तु को लगाये वह सोना हो गया !
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ओ मेरी पांडुरंग माऊली (माँ) ! क्या आपकी लीला है ! हम समझ रहे थे कि नामदेव दरिद्र हैं। बाप रे ! हम ही दरिद्र हैं।
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नामदेव तो कितने वैभवशाली हैं। नहीं चाहिए पारस, नहीं चाहिए, फेंक दो। ओ पांडुरंग !...नामदेव जी के श्रीचरण में गीर पडे।
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परीसा भागवत ने सारे-के-सारे पारस नदी में फेंक दिये और परमात्म- पारस में ध्यान मग्न हो गये।
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हमारा समय कितना कीमती है और हम कौन से कूड़े-कपट जैसी क्रिया-कलापों में उलझ रहे हैं ।

🙏 *जय श्री राधे*🙏
[12/04, 08:51] Morni कृष्ण मेहता: जरा रूपं हरति, धैर्यमाशा, मॄत्यु:प्राणान् , धर्मचर्यामसूया ।
क्रोध: श्रियं , शीलमनार्यसेवा , ह्रियं काम: , सर्वमेवाभिमान: ॥
वॄद्धत्व से रूपका हरण होता है , आशासे ह्मतॄष्णा से धैर्यका , मॄत्युसे प्राणका हरण होता है| मत्सरसे धर्माचरण का , क्रोधसे सम्पत्ति का तथा दुष्टोंकी सेवा करनेसे शील का नाश होता है। कामवासना से लज्जा का तथा अभिमान से सभी अच्छी चीजों का अन्त होता है ।


🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, १२ अप्रैल २०२०🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:०२
सूर्यास्त: 🌅 ०६:४५
चन्द्रोदय: 🌝 २३:३३
चन्द्रास्त: 🌜०९:१०
अयन 🌕 उत्तरायणे (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: 🌳 बसंत
शक सम्वत: 👉 १९४२ (शर्वरी)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७७ (प्रमादी)
मास 👉 वैशाख
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि: 👉 पञ्चमी (१७:१५ तक)
नक्षत्र: 👉 ज्येष्ठा (१९:१३ तक)
योग: 👉 वरीयान् (२०:५५ तक)
प्रथम करण: 👉 कौलव (०६:०२ तक)
द्वितीय करण: 👉 तैतिल (१७:१५ तक)
क्षय करण: 👉 गर (२८:४० तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य   🌟 मीन
चंद्र    🌟 धनु (१९:२२ से)
मंगल 🌟 मकर (उदित, पूर्व)
बुध   🌟 मीन (अस्त, पूर्व)
गुरु   🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
शुक्र  🌟 वृष (उदित, पश्चिम)
शनि  🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु   🌟 मिथुन
केतु   🌟 धनु
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त: 👉 ११:५२ से १२:४३
अमृत काल: 👉 १०:४६ से १२:१९
होमाहुति: 👉 गुरु
अग्निवास: 👉 पाताल (१७:१५ से पृथ्वी)
दिशा शूल: 👉 पश्चिम
नक्षत्र शूल: 👉 पूर्व (१९:१३ तक)
चन्द्र वास: 👉 उत्तर (पूर्व १९:१३ से)
दुर्मुहूर्त: 👉 १६:५७ से १७:४८
राहुकाल: 👉 १७:०३ से १८:३८
राहु काल वास: 👉 उत्तर
यमगण्ड: 👉 १२:१८ से १३:५३
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - उद्वेग      २ - चर
३ - लाभ      ४ - अमृत
५ - काल      ६ - शुभ
७ - रोग        ८ - उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - शुभ       २ - अमृत
३ - चर        ४ - रोग
५ - काल     ६ - लाभ
७ - उद्वेग     ८ - शुभ
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पूर्व (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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सर्वार्थसिद्धि योग १९:१२ से ३०:२० तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १९:१३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (यी, यू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम मूल नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय, तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (ये, यो, भ) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।

विशेष👉 ज्येष्ठा एवं मूल नक्षत्र के चारोचरण गण्डमूल के अंतर्गत आते है ज्येष्ठा नक्षत्र के तृतीय पद में जन्म होने पर माता के लिए अशुभ और चतुर्थ पद में स्वयं के लिए अशुभ फलदायक है। तथा मूल नक्षत्र के प्रथम पद में जन्म होने पर पिता के जीवन में परिवर्तन, द्वितीय पद में - माता के लिए अशुभ, तृतीय पद में - संपत्ति के लिए हानिकारक है।

जन्म से २७ वें जन्म नक्षत्र के दिन नक्षत्र शान्ति का शास्त्रीय विधान है।
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उदय-लग्न मुहूर्त:
०५:५७ - ०६:०१ मीन
०६:०१ - ०७:३५ मेष
०७:३५ - ०९:२९ वृषभ
०९:२९ - ११:४४ मिथुन
११:४४ - १४:०६ कर्क
१४:०६ - १६:२५ सिंह
१६:२५ - १८:४३ कन्या
१८:४३ - २१:०३ तुला
२१:०३ - २३:२३ वृश्चिक
२३:२३ - २५:२६ धनु
२५:२६ - २७:०८ मकर
२७:०८ - २८:३३ कुम्भ
२८:३३ - २९:५६ मीन
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पञ्चक रहित मुहूर्त:
०५:५७ - ०६:०१ चोर पञ्चक
०६:०१ - ०७:३५ रज पञ्चक
०७:३५ - ०९:२९ शुभ मुहूर्त
०९:२९ - ११:४४ चोर पञ्चक
११:४४ - १४:०६ शुभ मुहूर्त
१४:०६ - १६:२५ रोग पञ्चक
१६:२५ - १७:१५ शुभ मुहूर्त
१७:१५ - १८:४३ मृत्यु पञ्चक
१८:४३ - १९:१३ अग्नि पञ्चक
१९:१३ - २१:०३ शुभ मुहूर्त
२१:०३ - २३:२३ रज पञ्चक
२३:२३ - २५:२६ शुभ मुहूर्त
२५:२६ - २७:०८ चोर पञ्चक
२७:०८ - २८:३३ शुभ मुहूर्त
२८:३३ - २९:५६ रोग पञ्चक
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन भी विपरीत फल प्रदान करने वाला है। दिन भर सतर्क रहने की आवश्यकता है। आज भी स्वयं या किसी परिजन की सेहत नरम रहने अथवा कोई अशुभ समाचार मिलने से स्वभाव मे चिढ़चिढ़ापन आएगा फलस्वरूप किसी प्रियजन से मन मुटाव के प्रसंग बनेंगे। आर्थिक कारणों से चिंता बैचेनी रहेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अव्यवस्था बनेगी। आकस्मिक घटनाओं से मन दुखी होगा। सेहत पर अधिक खर्च रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन का अधिकांश समय आपके अनुकूल रहेगा। आज स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहेगा। कार्यो के प्रति आज अधिक ईमानदार रहेंगे। व्यावसायि अथवा नौकरी को लेकर आज अनिश्चितता रहेगी लेकिन दिनचर्या पर इसका ज्यादा प्रभाव नही पड़ेगा। मध्यान के समय शुभ समाचार मिलने से मन में आनंद छाया रहेगा। संतानों के व्यवहार से आज थोड़ी पीड़ा भी होगी। धन लाभ होना आज मुश्किल ही है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन घर एवं बाहर के वातावरण में बदलाव लाने वाला रहेगा। सेहत थोड़ी नरम रहने से आलस्य रहेगा फिर भी आज आप घरेलु समस्याओं के समाधान के प्रति अधिक सतर्क रहेंगे। आज वाणी एवं व्यवहार में भी कल की अपेक्षा नरमी रहेगी। कार्य क्षेत्र पर कुछ महत्त्वपूर्ण बदलाव की योजना बनाएंगे लेकिन इसे अमल में लाने में काफी समय लग सकता है। संध्या के समय मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे। आकस्मिक खर्च बढ़ेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आप का आज का दिन मिश्रित फलदायी है।दिन के पूर्वार्ध में सेहत में गिरावट आने से बेचैनी बढ़ेगी। बीमारी पर आकस्मिक खर्च होगा। भाई-बंधुओ के बीच मनमुटाव हो सकता है। स्वभाव से आज अन्य दिनों की अपेक्षा विवेकी रहेंगे फिर भी अपनी वाणी एवं व्यवहार में सावधानी बरतें। जमीन-जायदाद सम्बंधित कार्यो को फिलहाल स्थगित करें। अनापेक्षित कार्यो से थकान बढ़ेगी। धन की उधारी आज ना करें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन मध्यकान तक का समयविषम परिस्थितियों वाला रहेगा। आज मन में भावुकता एवं क्रोध की अधिकता रहने से छोटी बात गंभीर विवाद का रूप ले सकती है। मध्यान पश्चात संतान और जीवनसाथी के स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। वाणी एवं व्यवहार संयमित रखें अन्यथा सम्मान में कमी आ सकती है। सरकारी कार्यो को संभवतः टाले निर्णय आपके विपरीत रहेंगे। धन लाभ की तिकडम लगाएंगे लेकिन आज सफलता संदिग्ध ही रहेगी।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन आकस्मिक फायदे कराने वाला रहेगा। आज आप किसी से अधिक व्यवहार करना पसंद नहीं करेंगे इससे कई समस्याओं से भी बचे रहेंगे। सामाजिक क्षेत्र पर भी आज आपके योगदान की प्रशंसा होगी। वरिष्ठ जनो के साथ नविन संपर्क बनेंगे। स्त्री-पुत्र से लाभदायक समाचार मिल सकते है। विपरीत लिंगीय आकर्षण आज कम रहेगा।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपका मन अनिर्णय की स्थिति में रहेगा। दिन के पूर्वार्ध में प्रत्येक कार्य सोच विचार कर करें। नए कार्य का आरम्भ आज करना उचित नहीं। कार्य अधूरे रहेंगे। परिवार के बुजुर्गो अथवा कार्य क्षेत्र में आधिकारियो सहकर्मी के साथ मनमुटाव हो सकता है। क्रोध एवं वाणी में संयम रखकर आज का दिन शांति से बिताना ही हितकर रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन का पूर्वार्ध शांति से व्यतीत करेंगे। कोई पुराना कार्य पूर्ण होने से धन लाभ होगा। थोड़े परिश्रम में अधिक लाभ भी कमा सकते है परंतु आलस्य एवं लापरवाही के कारण महत्त्वपूर्ण सौदे हाथ से निकलने की भी सम्भावना है। मानसिक रूप से चंचल रहेंगे लेकिन आज आंख बंद कर किसी की भी बातों पर विश्वास ना काटें आगे हानि हो सकती है। परिवार में किसी बात को लेकर व्यर्थ बहस होने की संभावना है। अनैतिक कार्यो की तरफ मन ज्यादा भटकेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन भी परिस्थितियां प्रतिकूल रहने से कोई राहत नहीं मिलेगी। मन किसी अरिष्ट के भय ये व्याकुल हो सकता है। आर्थिक पक्ष कमजोर होने से मानसिक चिंता बढ़ेगी। मध्यान पश्चात सेहत में गिरावट आ सकती है। स्वाभाव में रूखापन एवं वाणी में कड़वाहट झगडे का कारण बनेगी। मध्यान का समय अत्यन्त खर्चीला रहेगा। किसी भी कार्य में सोच समझ कर ही कोई निर्णय लें बेफिजूल के कार्यो में ना पड़े।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज प्रातः काल से ही किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के कारण भाग-दौड़ रहेगी लेकिन सफलता को लेकर मन में संशय रहेगा। परिजनों से भी आज मामूली घरेलु कारणों से मतभेद होगा। संतानों के भविष्य के कारण भी चिंता रहेगी। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र और आज आपके थोड़े से भी योगदान की बड़ी सराहना होगी। मध्यान के बाद किसी स्त्री द्वारा लाभ की संभावना है। नौकरी पेशा जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें। आलस्य भारी पड़ सकता है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन स्थिति में सुधार आने से राहत अनुभव करेंगे। कुछ दिनों से चल रही शारीरिक एवं पारिवारिक समस्याओं का समाधान होने से मानसिक शांति मिलेगी। आज सामाजिक कार्य के प्रति अधिक रूचि  दिखाएंगे। कला क्षेत्र से जुड़े जातको के लिए आज का दिन लाभदायी सिद्ध होगा। मित्रो परिचितों के ऊपर खर्च होगा। संतान की प्रगति के समाचार मिलेंगे।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आध्यात्म एवं धार्मिक आस्था में वृद्धि करने वाला रहेगा। पुण्योदय होने से भाग्योन्नति के अवसर मिलेंगे। फिर भी आज आपके निर्णय सही दिशा ले रहे है या नहीं इसकी जांच अवश्य करलें। धार्मिक यात्रा अथवा दान पुण्य के योग है। घर में वैवाहिक कार्यो की रूप रेखा बन सकती है। कार्य व्यवसाय पर भी दिन लाभ की जगह खर्च कराने वाला रहेगा। पुराने परिचितों से भेंट होगी।
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नन्दीश्वर अवतार की कथा।
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भवाब्धिमग्नं दीनं मां समुद्धर भवार्णवात्। कर्मग्राहगृहीत अङ्गं दासोहम् तव शंकर।।

मुनिवर सनत्कुमारजी के पूछने पर शिवभक्त नन्दीश्वर ने श्रीशंकरजी के अवतारों के सम्बन्ध में बताया- “वैसे तो शिवजी के कल्प- कल्पान्तर में अनेकानेक अवतार हुए हैं, जिनमें से कुछ के नाम ये हैं- सद्योजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर, ईशान, शर्व, भव, रूद्र, उग्र, भीम, अर्धनारीश्वर, श्वेत, सुतार, दमन, सुहोत्र, कंक, लोकक्षि, जैगीषव्य, दधिवाहन, ऋषभ, तप, अत्रि, बलि, गौतम, वेदसिरा, गोकर्ण, गुहावासी, शिखण्डी, माली, अट्टहास, दारुक, आदि।

नन्दीश्वर अवतार की कथा शिलादि नानक एक धर्मात्मा मुनि ने कठिन तपकर भगवान शिव से जब एक पुत्र माँगा तो उन्होंने स्वयं ही उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दे दिया। कुछ दिनों के बाद जब वह मुनि खेत जोत रहे थे तो उनके अङ्ग से एक परम् तेजस्वी बालक की उत्पत्ति हुयी।

शिलाद समझ गए कि शिवजी का ही अंश यह बच्चा मेरे पुत्र के रूपमें अवतार लिया है। उन्होंने उसका नाम ‘नन्दी’ रखा। वह पूर्ण शिवभक्त हुआ जिसने आशुतोष को अपनी वन्दना से प्रशन्न कर लिया।

भगवान ने कहा- “प्रिय नन्दी! तुम अजर, अमर अव्यय, अक्षर और दुःखरहित होकर सतत् मेंरे पार्श्व भाग में विराजमान रहोगे। तुम्हारे बिना मैं कहीं रह नहीं सकता ।” फिर उन्होंने नन्दी का अपने प्रमुख गणाध्यक्ष के पद पर बिभूषित कर दिया।

कालभैरव माहात्म्य भोलेनाथने मार्गशीर्ष मास की अष्टमी तिथि को कालभैरव के रूप में अवतार लिया था। अतः, उक्त तिथि को उपवास करके रात्रि जागरण करनेवाले मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोरथों की सिद्धि होती है।

जो इनके भक्तों को दुःख देता है उसका अनिष्ट होना निश्चित है। काशी में इसका विशेष महत्व है कि जो लोग बिना इनकी पूजा किये विश्वनाथ की अर्चना करता है उसे कोई फल नहीं मिलता। मंगलवार को कृष्णाष्टमी के दिन इनका पूजन अत्यंत फलदायी होता है।

तत्पश्चात् नन्दीश्वरने विश्वानर, वीरभद्र, गृहपति, महाकाल, दस रूद्र आदि के बाद दुर्वासा और हनुमान के अवतारों का प्रसंग सुनाया-

दुर्वासा और हनुमान के अवतारों की कथा प्रसिद्ध सती अनुसूया और उनके पति ऋषिवर अत्रि ने जब पुत्र प्राप्ति की कामना से घोर तपस्या की तो उन्हें तीन पुत्र हुए जिसमें “दुर्वासा “रुद्रदेव के अंश थे। ये भी अपने पिता के समान महामुनि हुए। उन्होंने अनेक ही विचित्र चरित्र किये।

एक समयकी बात है, जब भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को शिवजीने देखा तो वे कामके वशीभूत हो गये, फलस्वरूप उनका विर्यपात् हो गया, जिसे ऋषिओं ने पत्तों में लेकर गौतम की पुत्री अंजनी में कानों के रास्ते स्थापित कर दिया।

समय आने पर उससे एक अति बलवान और अद्भुत बुद्धिमान स्वर्ण के सामान रंग का बालक का प्रादुर्भाव हुआ जिसे “हनुमान” नाम दिया गया। सर्वविदित है कि वे महान रामभक्त थे, जिनकी आराधना बहुत ही फलदायी होती है।

ऋषि दधीचि का प्रसंग पूर्वकाल में वृत्रासुर नामक राक्षस के द्वारा दिए गये कोष्टों से मुक्ति पाने हेतु जब ब्रम्हदेव से देवताओं ने निवेदन किया तो उन्होंने कहा- “आप लोग दधीचि मुनि के पास जकर उनसे उनकी हड्डियों की याचना करें।

चूँकि शिव के आशीष से उनकी हड्डियाँ वज्र के सामान हैं, अतः उससे वह महासुर मारा जायेगा। “देवोंने यही किया। महादानी दधीचि ने अपने प्राण देकर अपनी हड्डियाँ दे दी जिससे वह देवशत्रु मार गया। जब दधीचि ने प्राण त्याग किये थे उनकी पत्नी को गर्भ था, जिसमें शिव का अंश पल रहा था।

जन्म के बाद उस बालक का नाम पिप्पलाद रखा गया, जिन्होंने कठिन तप किया था। उन्होंने जगत् में शनैश्चर द्वारा दी जा रही पीड़ा, जिसका निवारण करना सबकी शक्ति से बाहर था, को देखकर लोगों को वरदान दिया, “सोलह वर्षों तक की आयुवाले मनुष्यों और शिवभक्तों को शनि की पीड़ा नहीं हो सकती। यदि शनि मेरे इस वचन का अनादर करेगा तो वह भस्म हो जायेगा। इसलिए वैसे मनुष्यों को शनिदेव कष्ट नहीं देते हैं।



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*🙏🌹जय जय श्री राधे राधे जी🌹🙏*
🙏🚩🙏 *दैनिक  पंचांग* 🙏🚩🙏
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*दिनाँक -: 12/04/2020,रविवार*
*पंचमी, कृष्ण पक्ष,वैशाख*
*🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞समाप्ति काल):-*

*तिथि ----------पंचमी 17:15:10         तक*
*पक्ष ---------------------------कृष्ण*
*नक्षत्र ----------ज्येष्ठा 19:11:40*
*योग ----------वरियान 20:52:51*
*करण ---------कौलव 06:02:11*
*करण -----------तैतुल 17:15:10*
*करण -----------गरज 28:40:24*
*वार --------------------------रविवार*
*माह --------------------------वैशाख*
चन्द्र राशि -----वृश्चिक 19:11:40
चन्द्र राशि ----------------------धनु
सूर्य राशि ----------------------मीन
रितु ----------------------------वसंत
आयन ---------------------उत्तरायण
संवत्सर -----------------------शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ------------प्रमादी
विक्रम संवत ----------------2077
विक्रम संवत (कर्तक) ----2076
शाका संवत ----------------1942
सूर्योदय -----------------05:58:48
सूर्यास्त -----------------18:41:18
दिन काल ------------- 12:42:30
रात्री काल -------------11:16:27
चंद्रास्त -----------------09:17:59
चंद्रोदय -----------------23:29:51

लग्न ----मीन 28°26' , 358°26'

सूर्य नक्षत्र --------------------रेवती
चन्द्र नक्षत्र -------------------ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया --------------------ताम्र

*🚩🌹🚩  पद, चरण  🚩🌹🚩*

या ----ज्येष्ठा 07:35:09

यी ----ज्येष्ठा 13:21:55

यू ----ज्येष्ठा 19:11:40

ये ----मूल 25:04:29

*🌹🚩🌹  ग्रह गोचर  🌹🚩🌹*

*ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद*
Astro≈≈≈≈≈≈≈≈ 9930421132
सूर्य=मीन 28°22  '    रेवती,     4   ची
चन्द्र =वृश्चिक 22°23  'ज्येष्ठा '  2   या
बुध = मीन 07°50 '  उ o भा o' 2  थ
शुक्र= वृषभ 12°55,  रोहिणी    '  1   ओ
मंगल=मकर  14°30'      श्रवण  ' 2  खू
गुरु=मकर  01°50 '   उ oषाo ,    2  भो
शनि=मकर  05°43' उ oषा o   '  3  जा
राहू=मिथुन 08°59 '      आर्द्रा ,   1   कु
केतु=धनु  08 ° 59 '      मूल    , 3   भा

*🚩🌹🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩🌹🚩*

*👹राहू काल 17:06 - 18:41 अशुभ*
यम घंटा 12:20 - 13:55 अशुभ
गुली काल  15:31 - 17:06  अशुभ
*अभिजित 11:55 -12:45 शुभ*
दूर मुहूर्त 16:59 - 17:50 अशुभ

🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ

🚩🌹चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:59 - 07:34 अशुभ
चर 07:34 - 09:09 शुभ
लाभ 09:09 - 10:45 शुभ
अमृत 10:45 - 12:20 शुभ
काल 12:20 - 13:55 अशुभ
शुभ 13:55 - 15:31 शुभ
रोग 15:31 - 17:06 अशुभ
उद्वेग 17:06 - 18:41 अशुभ

🚩🌹चोघडिया, रात
शुभ  18:41 - 20:06 शुभ
अमृत 20:06 - 21:30 शुभ
चर 21:30 - 22:55 शुभ
रोग 22:55 - 24:20* अशुभ
काल 24:20* - 25:44* अशुभ
लाभ 25:44* - 27:09* शुभ
उद्वेग 27:09* - 28:33* अशुभ
शुभ 28:33* - 29:58* शुभ

🚩🌹होरा, दिन
सूर्य 05:59 - 07:02
शुक्र 07:02 - 08:06
बुध 08:06 - 09:09
चन्द्र 09:09 - 10:13
शनि 10:13 - 11:17
बृहस्पति 11:17 - 12:20
मंगल 12:20 - 13:24
सूर्य 13:24 - 14:27
शुक्र 14:27 - 15:31
बुध  15:31 - 16:34
चन्द्र 16:34 - 17:38
शनि 17:38 - 18:41

🚩🌹होरा, रात
बृहस्पति 18:41 - 19:38
मंगल 19:38 - 20:34
सूर्य 20:34 - 21:30
शुक्र 21:30 - 22:27
बुध 22:27 - 23:23
चन्द्र 23:23 - 24:20
शनि 24:20* - 25:16
बृहस्पति 25:16* - 26:12
मंगल 26:12* - 27:09
सूर्य 27:09* - 28:05
शुक्र 28:05* - 29:01
बुध 29:01* - 29:58

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*🚩🌹दिशा शूल ज्ञान-------------पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा  चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*

*🚩🌹  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*

       15 + 5 + 1 + 1 = 22  ÷ 4 = 2 शेष
 आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*🚩🌹    शिव वास एवं फल -:*

  20 + 20 + 5 = 45  ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़  = शुभ कारक

*🚩🌹भद्रा वास एवं फल -:*

*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*

*🌹🚩    विशेष जानकारी    🚩🌹*

* सर्वार्थ सिद्धि योग 19:12 से

* गुरु तेगबहादुर जयन्ती

* इस्टर संडे (ई)

*🌹🚩🌹   शुभ विचार   🌹🚩🌹*

कुग्रामवासः कुलहीनसेवा ।
कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या ।।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या ।
विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम् ।।
।।चा o नी o।।

निम्नलिखित बाते व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती है...
१. एक छोटे गाव में बसना जहा रहने की सुविधाए उपलब्ध नहीं.
२. एक ऐसे व्यक्ति के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ है.
३. अस्वास्थय्वर्धक भोजन का सेवन करना.
४. जिसकी पत्नी हरदम गुस्से में होती है.
५. जिसको मुर्ख पुत्र है.
६. जिसकी पुत्री विधवा हो गयी है.

*🚩🌹🚩  सुभाषितानि  🚩🌹🚩*

गीता -: मोक्षसन्यासयोग अo-18

तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरेः ।,
विस्मयो मे महान्‌ राजन्हृष्यामि च पुनः पुनः ॥,

हे राजन्‌! श्रीहरि (जिसका स्मरण करने से पापों का नाश होता है उसका नाम 'हरि' है) के उस अत्यंत विलक्षण रूप को भी पुनः-पुनः स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ॥,77॥,

*🌹🚩   दैनिक राशिफल   🚩🌹*

*देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।*
*नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।*
*विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।*
*जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।*

*मेष*
यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा हो सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। धनहानि भी आशंका है। पहले की गई मेहनत का फल अब मिल सकता है। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। धनार्जन होगा।

*वृष*
सुख के साधनों पर व्यय होगा। किसी मामले की चिंता बनी रहेगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा।

*मिथुन*
किसी भी प्रकार से धनहानि की आशंका है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सट्टे व जुएं से दूर रहें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़ी समस्या का हल सहज ही हो सकता है।

*कर्क*
अचानक कोई बड़ा खर्च सामने आ सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। कोई पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। कार्य में विलंब हो सकता है। आय बनी रहेगी।

*सिंह*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। चोट व रोग से बाधा संभव है। नया कार्य मिल सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। कारोबार में वृद्धि के योग हैं।

*कन्या*
कोई बड़ा कार्य हो सकता है। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार अच्छा चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। यात्रा लंबी व सुखद हो सकती है। जल्दबाजी न करें। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। विवाद न करें।

*तुला*
विवेक का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। कोर्ट-कचहरी के रुके कार्यों में गति आएगी। किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। व्यय होगा। प्रतिद्वंद्विता में कमी होगी। कुसंगति से बचें। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा।

*वृश्चिक*
किसी पुरानी व्याधि के उठने की आशंका है। काम में विलंब होगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी व्यक्ति से बेवजह विवाद हो सकता है। दूसरों पर अतिविश्वास न करें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा।

*धनु*
चिड़चिड़ापन रह सकता है। थकान व कमजोरी महसूस करेंगे। किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। सरकारी कामकाज में सफलता प्राप्त होगी। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। धनार्जन होगा।

*मकर*
ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। पैतृक संपत्ति से लाभ की संभावना है। कारोबार मुनाफे में वृद्धि होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी बड़ी समस्या की आशंका है। सावधानी रखें। शरीर कष्ट संभव है।

*कुंभ*
व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। जल्दबाजी से समस्या बढ़ सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। कानूनी अड़चन आ सकती है। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। घर में प्रसन्नता रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी।

*मीन*
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पुराना रोग उभर सकता है। किसी भी प्रकार की बहस में हिस्सा न लें। दु:खद समाचार प्राप्ति की आशंका है। भागदौड़ रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा।

🙏🌹आपका दिन मंगलमय हो🌹🙏
🚩🚩🚩🚩🚩🕉🚩🚩🚩🚩🚩
*रत्न,वास्तु, ज्योतिष, हस्तरेखा, अंकशास्त्र विशेषज्ञ*
9930421132/9321735427
[12/04, 08:51] Morni कृष्ण मेहता: ╲\╭┓
╭ 🌹 ╯           *_जय श्री हरि_*
┗╯\╲☆         *_●•=======•❥_*
    *_✹•⁘••⁘•✹•⁘••⁘•⁘••⁘•✹•⁘••⁘•✹_
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┇ ┇ ┇ ┇ *_करूणा के सागर श्री हरि जी की_*
┇ ┇ ┇ ❁        *_असीम अनुकम्पा  आप पर_*
┇ ┇ ✾                  *_सदैव बनी रहे_*
┇ ✵                               
♡  *✹•⁘••⁘•✹•⁘••⁘•⁘••⁘•✹•⁘••⁘•✹*
             🧾 *_आज का पंचाग_* 🧾
           *_रविवार 12 अप्रैल 2020_*

*_भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।_*

           *_।। आज का दिन मंगलमय हो ।।_*

🌠 *_दिन (वार) रविवार को भगवान सूर्य को प्रात: ताम्बे के बर्तन में लाल चन्दन, गुड़, और लाल पुष्प डाल कर अर्घ्य देना चाहिए, एवं आदित्यहृदयस्तोत्रम्‌ का पाठ करना चाहिए। रविवार को क्षौरकर्म (बाल, दाढी अथवा नख काटने या कटवाने) से बुद्धि और धर्म की हानि होती है। (महाभारत अनुशासनपर्व)।_*
🌐 *_विक्रम संवत् – 2077.संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – प्रमादी._*
☸️ *_शक संवत - 1942_*
☣️ *_अयन - उत्तरायण_*
⛈️ *_ऋतु - बसंत ऋतु_*
🌤️ *_मास - बैशाख माह_*
🌔 *_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*
📆 *_तिथि – पञ्चमी 17:17 PM बजे तक उपरान्त षष्ठी तिथि है।_*
💫 *_नक्षत्र – ज्येष्ठा 19:13 PM तक उपरान्त मूल (दोनों गंडमूल) नक्षत्र है।_*
🔔 *_योग – वरियान 20:54 PM तक उपरान्त परिघ योग है।_*
✨ *_करण – कौलव 06:04 AM तक उपरान्त तैतिल 17:17 PM तक उपरान्त गर करण है।_*
🌙 *_चन्द्रमा – वृश्चिक राशि पर 19:13 PM तक उपरान्त धनु राशि पर।_*
🌞 *_सूर्योदय – प्रातः 06:23:29_*
🌅 *_सूर्यास्त – सायं 18:54:16_*
🤖 *_राहुकाल (अशुभ) – सायं 16:30 बजे से 18:00 बजे तक।_*
❄️ *_विजय (शुभ) मुहूर्त – दोपहर 12.27 बजे से 12.51 बजे तक।_*
⚜️ *_दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।_*
⚛️ *_व्रत त्योहार :- ईस्टर संडे_*
📡 *_व्यापार : आज कारोबार शुरू करने का मुहूर्त नहीं है।_*
👼🏻 *_मुंडन : आज मुंडन का मुहूर्त नहीं है।_*
👫🏻 *_विवाह : आज विवाह का मुहूर्त नहीं है।_*
🚕 *_वाहन : आज वाहन खरीदने का मुहूर्त नहीं है।_*
🏘️ *_गृहप्रवेश : आज गृह प्रवेश का मुहूर्त नहीं है।_*

         🏚️ *_वास्तु टिप्स_* 🏘️

*_कुछ लोग अपनी सुविधा के लिए अपने मोबाइल फोन में बहुत ही कर्कश कॉलबेल लगा लेते हैं जिससे उन्हें तो सुविधा होती है, लेकिन घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है | इससे घर के सदस्यों के विचारों में टकराव होने लगता है और कभी-कभी बात झगड़े तक आ पहुंचती है | इसलिए हमेशा अपने मोबाइल में ऐसी ध्वनि लगाएं जो दूसरों को भी सुनने में अच्छी लगे | साथ अलार्म क्लॉक या डोर बेल खरीदते समय भी उसकी ध्वनि का पूरा ध्यान रखना चाहिए |_*

        ♻️ *_जीवनोपयोगी कुंजियां_* ⚜️

*_अपने को रखें साफ - गर्मियों में पसीने की बदबू Pasine ki badbu सेबचने का सबसे आसान तरीका है अपने आपको बिलकुल साफ-सुथरा रखना। पसीने की बदबू उन जीवाणुओं से होती जो आपकी त्वचा में रहते हैं, इसीलिए अपनी त्वचा को हमेशा साफ रखें। हमारे अंडरआर्म के बालो की वजह से जीवाणु ज्यादा पनपते है । हमारे शरीर से जो पसीना निकलता है उसे हमारे अंडरआर्म्स के बाल पूरी तरह से सोख लेते है इससे वहाँ पर बैक्टेरिया पनपने है और इसकी वजह से शरीर से बहुत बदबू आने लगती है, इससे बचने के लिए यह आवश्यक है की अंडरआर्म्स पर बाल समय समय पर साफ करते रहे ।_*

          🥤 *_आरोग्य कुंजियां_* 🥂

*_बीस-पच्चीस दाने काली मिर्च गुलाब जल में पीसकर रात को चेहरे पर लगायें सुबह गर्म पानी से धो लें। इससे कील मुंहासे झुर्रियां साफ होकर चेहरा चमकने लगता है। रात को सोने से पहले अच्छी तरह मुंह धोकर, खीरे के रस में हल्दी पाउडर लगाने से मुंहासों की समस्या का समाधान से निजात पाया जा सकता हैं।_*

           👣 *_गुरु भक्ति योग_* 🙏🏼

*          *_रविवार सप्ताह का प्रथम दिन होता है, इसके अधिष्ठात्री देव सूर्य को माना जाता है। इस दिन जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति तेजस्वी, गर्वीले और पित्त प्रकृति के होते है। इनके स्वभाव में क्रोध और ओज भरा होता है तथा ये चतुर और गुणवान होते हैं। इस दिन जन्म लेनेवाले जातक उत्साही और दानी होते हैं तथा संघर्ष की स्थिति में भी पूरी ताकत से काम करते हैं।_*

*          *_रविवार को जन्म लेनेवाले जातक सुन्दर एवं गेंहूए रंग के होते हैं। इनमें तेजस्विता का गुण स्वाभाविक ही होता है। महत्वाकांक्षी होने के साथ ही प्रत्येक कार्य में जल्दबाजी करते है और सफल भी होते हैं। उत्साह इनमें कूट-कूट कर भरा होता है तथा ये परिश्रम से कभी भी घबराते नहीं हैं। ये हर कार्य में रूचि लेने वाले होते हैं परन्तु ये लोग समय के पाबंद नहीं होते। ये जातक अपना करियर किसी भी क्षेत्र में अपने कठिन परिश्रम से बनाने की क्षमता रखते हैं। इनका शुभ दिन रविवार तथा शुभ अंक 7 होता है।_*

*※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※*

⚜️         *_आज रविवार को सुबह भगवान सूर्य को ताम्बे के एक लोटे में लाल चन्दन, गुड़ और लाल फुल मिलाकर अर्घ्य इस मन्त्र से प्रदान करें। अथ मन्त्रः- एही सूर्य सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते। अनुकम्प्य मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।। अथवा गायत्री मन्त्र से भी सूर्यार्घ्य दे सकते हैं।_*
       *_इसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। भोजन में मीठा भोजन करना चाहिये नमक का परित्याग करना अत्यन्त श्रेयस्कर होता है। इस प्रकार से किया गया रविवार का पूजन आपको समाज में सर्वोच्च प्रतिष्ठा एवं अतुलनीय धन प्रदान करता है। क्योंकि सूर्य धन और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह है।_*

🖌 *_””सदा मुस्कुराते रहिये””_*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
                   *9812224501*
[12/04, 08:51] Morni कृष्ण मेहता: *गुरु चांडाल योग*

*वैदिक ज्योतिष में गुरु चांडाल योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में गुरु अर्थात बृहस्पति के साथ राहु या केतु में से कोई एक स्थित हो अथवा किसी कुंडली में गुरु का राहु अथवा केतु के साथ दृष्टि आदि से कोई संबंध बन रहा हो तो ऐसी कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है जिसके दुष्प्रभाव के कारण जातक का चरित्र भ्रष्ट हो सकता है तथा ऐसा जातक अनैतिक अथवा अवैध कार्यों में संलग्न हो सकता है। इस दोष के निर्माण में बृहस्पति को गुरु कहा गया है तथा राहु और केतु को चांडाल माना गया है और गुरु का इन चांडाल माने जाने वाले ग्रहों में से किसी भी ग्रह के साथ स्थिति अथवा दृष्टि के कारण संबंध स्थापित होने से कुंडली में गुरु चांडाल योग का बनना माना जाता है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में गुरु यदि कुंडली के पहले घर में स्थित हैं तथा राहु अथवा केतु में से कोई एक ग्रह गुरु के साथ ही पहले घर में स्थित है या फिर इन दोनों ग्रहों में से कोई एक ग्रह कुंडली के किसी अन्य घर में स्थित होकर गुरु के साथ दृष्टि के माध्यम से संबंध बनाता है तो कुंडली में गुरु चांडाल योग बन जाता है। बहुत से वैदिक ज्योतिषि यह मानते हैं कि किसी कुंडली में राहु का गुरु के साथ संबंध जातक को बहुत अधिक भौतिकवादी बना देता है जिसके चलते ऐसा जातक अपनी प्रत्येक इच्छा को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक धन कमाना चाहता है जिसके लिए ऐसा जातक अधिकतर अनैतिक अथवा अवैध कार्यों का चुनाव कर लेता है। इन वैदिक ज्योतिषियों के इस वर्ग का यह भी मानना है कि केतु का किसी कुंडली में गुरु के साथ संबंध स्थापित होने पर जातक के चरित्र में अवांछित त्रुटियां आ जातीं हैं तथा इस प्रकार का प्रभाव जातक को हिंसक, धार्मिक कट्टरवादी तथा पाखंडी बना सकता है जिसके चलते जातक अपने आस पास रहने वाले व्यक्तियों तथा समाज के लिए संकट बन सकता है।*

 *किन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गुरु चांडाल नाम का यह योग प्रत्येक जातक को अशुभ प्रभाव नहीं देता बल्कि इस योग के प्रभाव में आने वाले अनेक जातक बहुत अच्छे चरित्र तथा उत्तम मानवीय गुणों के स्वामीं भी होते हैं जिन्हें समाज में विशिष्ट स्थान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग निश्चिय ही जातक में भौतिकता को बढ़ावा दे सकता है किन्तु इस प्रकार के गुरु चांडाल योग का फलादेश करने से पहले कुंडली में गुरु तथा राहु के स्वभाव को जान लेना अति आवश्यक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी कुंडली में अशुभ राहु के शुभ गुरु के साथ संयोग होने से बनने वाला गुरु चांडाल योग गुरु की सामान्य तथा विशिष्ट विशेषताओं पर दुष्प्रभाव डाल सकता है जैसे कि यदि किसी कुंडली में शुभ गुरु यदि जातक के व्यवसाय को प्रदर्शित कर रहे हैं तो इस कुंडली में गुरु तथा अशुभ राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के कारण निश्चय ही ऐसा जातक धन कमाने के लिए अवैध तथा अनैतिक कार्यों का चुनाव कर सकता है क्योंकि अशुभ राहु का प्रभाव गुरु को भ्रष्ट कर देगा जिसका असर गुरु की विशेषता से संबंधित क्षेत्र अर्थात जातक के व्यवसायिक क्षेत्र में देखने को मिल सकता है।*

 *किसी कुंडली में सबसे बुरी स्थिति तब देखने को मिल सकती है जब कुंडली में अशुभ राहु तथा अशुभ गुरु के संयोग से गुरु चांडाल योग का निर्माण हो रहा हो क्योंकि इस प्रकार के गुरु चांडाल योग के प्रभाव में आने वाले जातक को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। किसी कुंडली में शुभ गुरु तथा शुभ राहु द्वारा बनाए जाने वाले गुरु चांडाल योग के परिणाम इस योग के साथ जोड़े गए दुष्परिणामों से बिल्कुल भिन्न होते हैं तथा शुभ गुरु और शुभ राहु द्वारा बनाया जाने वाला यह गुरु चांडाल योग जातक को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अच्छे तथा शुभ फल प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए शुभ गुरु तथा शुभ राहु के किसी कुंडली के पांचवे घर में स्थित होने से बनने वाले गुरु चांडाल योग का शुभ प्रभाव जातक को एक प्रसिद्ध तथा प्रतिष्ठित दार्शनिक, समाज सेवी, संत, आध्यतामिक गुरु अथवा आध्यतमिक रूप से विकसित व्यक्ति अथवा ज्योतिषी इत्यादि बना सकता है तथा इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक समाज के हित के लिए विशेष रूप से प्रयास करते हैं जिसके कारण इन्हें समाज में यश तथा सम्मान प्राप्त होता है।*

 *इसके अतिरिक्त किसी कुंडली में गुरु तथा राहु का संयोग होने पर यह भी संभव होता है कि इन दोनों ग्रहों में से राहु शुभ हों तथा गुरु अशुभ हों जिसके चलते कुंडली में गुरु चांडाल योग तो बनेगा किन्तु यहां पर अशुभ गुरु ही वास्तव में चांडाल का काम करेंगे तथा अशुभ गुरु के प्रभाव में आने के कारण राहु को दोष लग जाएगा जिसके चलते जातक को राहु की विशेषताओं से संबंधित क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए किसी कुंडली में गुरु तथा राहु के संयोग से बनने वाले गुरु चांडाल योग के फलों के बारे में बताने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि उस कुंडली में गुरु तथा राहु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा इन दोनों के बल आदि के बारे में भली भांति जान लिया जाए।*

*इसी प्रकार किसी कुंडली में गुरु तथा केतु के संयोग से गुरु चांडाल योग बनने की स्थिति में भी गुरु राहु द्वारा निर्मित गुरु चांडाल योग की भांति ही विभिन्न संभावनाएं हो सकतीं हैं तथा इस योग का फल गुरु और केतु के शुभ अशुभ स्वभाव तथा बल इत्यादि पर निर्भर करेगा। किसी कुंडली में अशुभ गुरु तथा अशुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग जातक को एक घृणित व्यक्ति बना सकता है तथा ऐसा जातक जाति, धर्म आदि के आधार पर बहुत सारे लोगों को कष्ट पहुंचा सकता है या उनकी हत्या भी कर सकता है जबकि शुभ गुरु तथा शुभ केतु के संयोग से बनने वाला गुरु चांडाल योग समाज को आध्यतमिक तथा मानवीय रूप से बहुत विकसित जातक प्रदान कर सकता है जो अपना सारा जीवन मानवता की सेवा तथा जन कल्याण में ही व्यतीत कर देते हैं। इस प्रकार गुरु चांडाल योग का परिणाम विभिन्न जातकों के लिए भिन्न भिन्न हो सकता है तथा किसी कुंडली में गुरु तथा राहु केतु के शुभ होने की स्थिति में जातक को इस योग से बहुत अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं l*

         *- डॉ0 विजय शंकर मिश्र*

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