*निर्मल रास लीला*
दयालबाग जाज्वल्यमान प्रकाश से है नहा रहा।
हर रोज़ नयी निर्मल रासलीला पा रहा।
हो रहा सत्संग कभी तीन बजे सुबह खेतों में।
कभी दोपहर को दो बजे ही सत्संग की पुकार है।
घर बैठे हर सत्संगी सत्संग सुन पा रहा।
अपने भाग्य को मन ही मन सराह रहा।
शाम की महफ़िल सजी है खेतों में बहार है
हर शख़्स सुपर मैन बना कठपुतली का लिए सार है। सुबह से शाम हर घड़ी सेवा के लिए तैयार है।
हुकुम की तामीलकी बह रही बयार है।
दाता जी के पथप्रदर्शन में वीरांगनाएं तैयार हैं
बहते दरिया सा उछाह उन्हें रोक नहीं पाया है।
जिधर भी नज़र दौड़ाएं हर फील्ड में हर काम में। वीरांगनाओं का कर्मठ रूप नज़र आया है।
हो रही सेल्फ डिफेंस पीटी और चल रही हैं लाठियां।
सुपरमैन और वीरांगनाओं से सज रही हैं खेतियां।
फैल रहा है दायरा इनका चौक चौक गली गली में।
देश विदेश की ब्रांचों में बन रहीं सुपरमैन की टोलियां।
हेलमेट रंग बिरंगे हर सिर पर हैं सज रहे।
कर्मवीर बने सब सेवा में आगे बढ़ रहे।
हर रोज़ नया उत्सव दया का सागर लहराया है।
छप्पर फाड़कर दया ने अपना रंग दिखलाया है।
हर सुरत पर दयाल की दया का हाथ है।
काल और माया देखकर अवाक हैं।
निर्मल रास लीला का शबाब है चारों ओर।
राधा सुरतियों पर प्रेम रंग छाया है।
सोशल डिस्टेंस का नियम सबने अपनाया है।
मास्क और हेलमेट से सबने खुद को सजाया है।
मीलों तक दाता जी के सेवादारों ने आज कल
गेहूं की फसल काटने का प्रण दोहराया है।
चाय रस्क गुड़ चना और अमृत पेय
पन्ना और रूह आफ़्जा का परशाद सब पाते हैं।
कटे हुए गेहूं के बंडल लोडिंग पार्टी वाले
रात दिन एक कर खलिहान में पहुंचाते हैं।
हथेली पर सरसों उगाने का साहस हम रखते हैं।
दाता जी की आज्ञाओं को पूरा करने को तैयार हैं
हुकुम की तामील से उन्हें रिझाने km का ख्याल आया है।
उनकी रहमत से भौसागर तर जाना सहज बन पाया है
राधा स्वामी नाम सभी मंत्रों का सार है।अमृत पेय पान करके अमरता का वर पाया है।
हैं दयाल देदीप्यमान रूप में विराजमान।हम सब उनके चरणों में ही पाएंगे निजधाम।
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