(दया मेहर की अविरल धारा)
स्वामी प्यारी कौडा
दया मेहर की अविरल धारा का उमड़ा है स्रोत।
पग पग पर उनकी रहमत का मचा हुआ है शोर।।
दाता जी ने फ़रमाया छप्पर फाड़कर दया हो रही।
ओर छोर न है इसका रोक सकेगा इसे न कोई।।
समरथ का फ़रमान जगत को सत्संग ही बतलाएगा।
दुःखी और भटकी मानवता को सच्चा पथ दिखलाएगा।।
मानव मात्र की सेवा करने को चुना गया है संगत को।
मिशन राधास्वामी पूरा करना है हम सबको।।
दाता जी ने हर पग पर तैयारी का है विगुल बजाया।
चौबीस घंटे रहें सजग हम पक्का बंदोबस्त कराया।।
कभी जगाया सोते से और कभी सुलाया मात्र पहर भर।
हर पल हर क्षण सेवा में रहते हम सब हैं तत्पर।।
न फ़िक्र रही अब हमें सहर की रातों की भी ख़बर नहीं।
जब वे चाहें जैसा चाहें रहते हम तैयार तभी।।
चौबीस घंटे लगी टकटकी उनका इंगित पाने को।
दौड़ रहे सब सुबह शाम उनका हुकुम बजाने को।।
करने होंगे कठिन काम अब
कस कर कमर तैयार रहें।
मानव मात्र की रक्षा को
आगे कदम बढ़ाते रहें।।
दाता जी के सुपर मैन जब उतरेंगे जग के रण में।
सुख और चैन मिलेगा तब जगत के हर घर में।।
कर्मवीर ये युद्धवीर ये बुद्धिवीर अध्यात्म लिए।
हर समस्या को दूर करेंगे ये दुनिया हित के लिए।।
प्रेम प्रीत और सदाचार का होगा चारों ओर प्रचार।
अध्यात्म और विज्ञान का होगा दुनिया में प्रसार।।
राधास्वामी नाम का डंका चारों ओर बजेगा।
सृष्टि के उद्धार का रस्ता सहज में खुलेगा।।
सत्य चेतनता और आनंद से भर कर सुरतें जब उमड़ेगी।
राधास्वामी दयाल का राज दुनिया में छा जाएगा।।
आओ हम सब करें प्रार्थना और शपथ लें यह मिल कर।
दाता जी के पदचिन्हों पर चलें नहीं रुकें पलभर।।
स्वामी प्यारी कौड़ा
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