Sunday, April 12, 2020

परम गुरू हुजूर सरकार साहब के बचन



परम गुरु सरकार साहब के बचन
बचन 34
              24 जनवरी, 1911- कल और परसों यह तज़किरा (ज़िक्र) हुआ था कि मालिक सिर्फ़ मनुष्य शरीर में सतगुरु रूप धारण कर सकता है। और कोई शरीर उससे ज़्यादा मुकम्मल (पूर्ण) इस दुनिया में बल्कि किसी और sphereयानी लोक में नहीं रचा गया। शक्ति जब प्रगट होती है तो जहाँ से वह प्रगट होती है वह केन्द्र,और दूसरे वह धारा जिसके ज़रिये वह फैलती है और तीसरे, उसका जो स्वरूप होता है, यह तीन अंग उसके ज़रूरी होते हैं। या दूसरे लफ़्ज़ों में इनको मस्तक, काया और चरण कहते हैं। सो मनुष्य शरीर में यह तीनों पाये जाते हैं। हमारे निचले हिस्से में यानी पाँव और टाँगों वग़ैरह में बहुत कम चेतनता होती है। इससे ऊपर काया में उससे ज़्यादा और फिर मस्तक यानी सिर में चेतन विशेष है।
              सो मालिक का स्थूल रूप तो यह नर शरीर है। अब उसका सूक्ष्म रूप क्या है? शक्ति में जब impulse या हिलोर उठती है, तो सिवाय शब्द के और कोई स्वरूप उसका लखायक नहीं हो सकता। मसलन् अगर शक्ति टकरावे, तो शब्द पैदा होता है। आम तजरबे में देखा जाता है कि जब शक्ति स्थूल चीज़ों पर असर करती है, तो शब्द ज़रूर होता है मगर बड़ा भद्दा और कमज़ोर होता है। इसी तरह जब सूक्ष्म मसाले पर शक्ति असर करेगी, तो जो शब्द होगा हमें नहीं सुनाई देगा क्योंकि हमारा यह कान अट्ठारह या बीस हज़ार vibrations (कम्पन) से ज़्यादा नहीं सुन सकता। मसलन् इस लैंप से जो रोशनी आ रही है, उसमें भी शब्द हो रहा है। मगर बहुत झीना है। हम नहीं सुन सकते। अजी, इस तमाम मंडल में बड़ा भारी शब्द हो रहा है। यूनान (Greece) के फ़िसागोरस (Pythagoras) ने भी Music of Spheres (विश्व संगीत) का ज़िक्र किया है। बाज़ लोग एकान्त में रात को इसी शब्द को सुनने का अभ्यास करते हैं और उनको कुछ सुनाई भी पड़ता है। तारागण वग़ैरह में भी शब्द हो रहा है। सूक्ष्म मसाले पर जो शब्द होगा, वह रसीला और बड़ी ताक़त वाला होगा। अब अगर बिलकुल मसाला हटा दिया जावे, तो जब निर्मल शक्ति निर्मल चेतन पर असर करेगी, तो उस शब्द की ताक़त का क्या अनुमान किया जा सकता है। वह शब्द कुल मालिक का स्वरूप है। उसी शब्द ने रचना करी।
              इस दुनियाँ के स्थूल शब्द की इतनी ताक़त है कि अगर एक सैकंड के वास्ते सब दुनियाँ अबोल यानी अवाक् कर दी जावे, तो देखो क्या गड़बड़ हो जाती है। कोई काम नहीं चल सकता। इस शब्द में इतनी ताक़त है कि हिरन वग़ैरह जानवर भी खड़े हो जाते हैं। और अगर सच माना जावे, तो तानसेन वग़ैरह के रागों से आग और मेंह का बरसना बताया जाता है। इस शब्द से इस संसार का सारा इन्तज़ाम रहनुमाई चल रहा है। किसी को ज़रा कड़वा बचन बोल दिया जावे, गला काटने को तैयार हो जाता है। और ज़रा मीठा शब्द कह दो, ग़ुलामी करने को तैयार है। तो निज रूप मालिक का शब्द रूप है और इस शब्द में बड़ी भारी ताक़त है जिससे सारी काररवाई हो रही है। और मतों में भी मुक़ाबिले के तौर पर देख लो। ईसा ने कहा है-
              In the beginning was the Word and the Word was with God and the Word was God. (यानी सृष्टि के शुरू में शब्द था और शब्द ख़ुदा के साथ था और शब्द ही ख़ुदा था)। इसी तरह फ़ारसी में भी पाया जाता है। बाज़ कहते हैं कि शब्द आकाश का गुण है, बल्कि शब्द आकाश की जान है।
राधास्वामी

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