राधास्वामी!!
17-06- 2020
- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे -(23)
मालूम हो कि नाम का सुमिरन एक बड़ा प्रभावशाली साधन है जिसका नियमपूर्वक और ठीक रीति से अभ्यास करने से यह फल प्राप्त होते हैं जो साधारण मनुष्यों के विचार और अनुमान में ही नहीं आ सकते।
मनुष्य के शरीर में कितनी ही उच्च कोटि की आध्यात्मिक शक्तियां गुप्त हैं जो ठीक नाम का ठीक विधि से सुमिरन करने पर जागृत होकर मनुष्य के अंतर में ऊंचे आध्यात्मिक मंडलों से संबंध जोड़ने की योग्यता उत्पन्न कर देती है ।
सुमिरन के ठीक-ठीक बन पड़ने पर अभ्यासी को पहले आध्यात्मिक मंडलों के दृश्यों की झलक दिखाई देने लगती है और फिर सतगुरु का ज्योतिर्मय स्वरूप प्रकट होकर अंतर का रास्ता खुल जाता है । मौलाना रूम लिखते हैं।:-
फिक्र आँ बाशद कि बुकशायद रहे।
राह आँ बाशद कि पेश आयद शहे।
शाह आँ बाशद कि अजखुद शह बुवद। ने ब मख्जनहा व गौहर शह शुवद।
अर्थात-
अर्थात-ध्यान वह है जो अंतर का रास्ता खोल दे और रास्ता वह है जो पूर्णधनी के दरबार तक जाय और पूर्णधनी वह है जो स्वयं अर्थात अपने गुणों से धनी हो, न कि संसार के ऐश्वर्य पाकर अमीर बन गया हो।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश भाग पहला-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
🙏
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ःः🚶♀
🚶♂ सत्संग के लिये बढाया गया हर-एक कदम,
एक-एक अश्वमेध यज्ञ के फल के बराबर होता है।
🍁 सत्संग🍁
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चाहे कितने भी बुरे हालात हों कभी सत्संग नहीं छोड़ना चाहिए।* 🙇♀
सत्संग ही एक मात्र रास्ता है, मुसीबतों से बचने का।*
*हर सवाल का जवाब,हर समस्या का समाधान सत्संग में ही मिलता है।*
*"सत्संग" का अर्थ है - "सत का संग करना". "सत" का अर्थ होता है - जो सदा से है और सदा ही रहने वाला है. सतगुरु सत्य स्वरुप हैं, और उनका पावन संग भी सत्य है. उनका संग ही सत्संग है😊☝🏻
🙏🙏
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