Saturday, July 4, 2020

04/07 को सुबह -शाम के सतसंग में पाठ और वचन






 राधास्वामी!! 04-07-2020-


 आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ- 

                          

 (1) सुरत सखी आज करत आरती। शब्द गुरू मन अपने धारती।। फेरत आरत घेरत मन को। टेरत राधास्वामी चली धुन घन को।।-( प्रेम भक्ति की धारा छूटी। काम क्रोध की गठरी लूटी।। ) (सारबचन- शब्द-8वाँ,पृ.सं.128)                                 

 (2) सुरतिया उमँग भरी। मिली गुरु से खोल कपाट।।-( राधास्वामी धाम अनूप अपारा। निरख मगन हुई महा सुख पात।। ) (प्रेमबानी-2-शब्द-133,पृ.सं.264)                                   🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
[7/4, 16:20] +91 94162 65214: राधास्वामी!! 04-07-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                              (1) उलट पलट कर खेली होली। अनहद धुन घट अंतर बोली।।-(अलख अगम के पार चढाई। राधास्वामी चरन अब मिले अमोली।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-11,पृ.सं.301)                                                             (2) गुरु की सरन सम्हालो। औसर न बार बारी।।टेक।। छुटते ही गुरु का संजोग। जाहिर हुए ये सब रोग। बैरी लगे हम सब लोग। जिल्लत सही और ख्वारी।।-(जो बात चित में अटके। लज्जा तनिक न करके। पूछो उसे बेखटके। जिज्ञासु रीति धारी।। ) (प्रेमबिलास- शब्द-5,पृ.सं.6)                               (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे-                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
[7/4, 16:20] +91 94162 65214: राधास्वामी!!                                        04-07- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(39) इस अवसर पर छंदबंद सारबचन पुस्तक के निम्नलिखित शब्द का बढ़ना अरुचिकर न होगा:-{ वचन 9 ,शब्द दूसरा}                              शब्द ने रचि त्रिलोकी सारी। शब्द से माया फैली भारी।। शब्द ने अण्ड ब्रह्मांड रचा री। शब्द से सात दीप नौ खंड बना री।। शब्द ने गुण तीनों और परजा धारी। शब्द से धरनि आकाश खड़ा री।।  शब्द ने जीव और ब्रह्म किया री। शब्द से चांद और सूर भया री।। शब्द ने सुन्न महासुन्न सँवारी। शब्द ने चौथा लोक करा री ।। शब्द ही घट घट करें पुकारी। शब्द फिर अलख अगम से न्यारी।। शब्द से खाली कोई न रहा री। शब्द सब ठौर ठिकान भरा री ।। शब्द की महिमा क्या कहूँ गा री। शब्द को जैसे बने तैसे पा री। गुरु अब कहते हेला मारी। शब्द बिन कोई न करें उपकारी।। शब्द में सुरत लगा कर यारी।  शब्द ही चेतन करें उजारी ।। शब्द की करनी करो सदा री। शब्द बिन खुदी न जाए तुम्हारी ।।               क्या इस शब्द के और ऋग्वेद के सूक्त के उपदेश में कोई विशेष अंतर है?  देखने में तो कोई अंतर प्रतीत नहीं होता।।                         🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग पहला- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!

( 40)-                                       【 राधास्वामी नाम का तथ्य {असलियत}】- राधास्वामी- मत की जान राधास्वामी नाम है। यह वह नाम है जो रचना के आदि में प्रकट हुआ और जिसकी ध्वनि चेतनता के प्रत्येक केंद्र अर्थात रचना के प्रत्येक पुरुष के अंतर के अंतर निरंतर हो रही है, या यों कहो कि जहां कहीं आत्मा अर्थात सूरत -शक्ति क्रियावान है वहाँ इस नाम की ध्वनि विद्यमान है। वर्तमान अवस्था में मनुष्य की सुरत तन तथा मन के कोशो यानी गिलाफों के भीतर गुप्त है, आत्मा की शक्ति से जान पाकर उसके तन तथा मन क्रियावान् हो रहे हैं और उनके क्रियावान होने से उनके गुण अर्थात स्वभाव का प्रादुर्भाव हो रहे है परंतु उके अंतर के अंतर चैतन्य मंडल अर्धात घाट पर, जहाँ सुरत की धारें प्रकट है, राधास्वामी नाम की ध्वनि हो रही है। इसी प्रकार ओउम्,सोहम् तथा सत्यपुरुष आदि के अंतर के अंतर इस नाम की ध्वनि विद्यमान है और राधास्वामी धाम में, जो रचना का का सबसे ऊंचा स्थान है , गति प्राप्त होने पर प्रत्येक अभ्यासी को इस नाम की ध्वनि सुनाई देती है। इसलिए इस नाम या शब्द को समस्त रचना की जान कहते हैं।।                                                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻                                  यथार्थ प्रकाश- भाग पहला -परम गुरु साहबजी महाराज!

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