Sunday, July 5, 2020

05/07 को हुज़ूर लाल साहब के भंडारा पे शाम को पाठ वचन




**राधास्वामी!! 05-07-2020-   
          
आज भंडारा व प्रीति भोज के अवसर पर पढे गये पाठ-                                     

(1)दया के सिंध सतगुरु। जीवन के हितकारी हो।।टेक।।- राधास्वामी दरशन पाये। हुई उन चरनन प्यारी हो।। (प्रेमबानी-3-शब्द-1-प्रेम लहर, पृ.सं.261)

(2) सुन सुन रह्या न जाय महिमा सतगुरु की।।टेक।।/ सतगुरु पुरुष सुजान हैं रे राधास्वामी कै औतार। प्रीति करा जिव बन्द छुडावें आस त्रास दें टार।। ( प्रेमबिलास-शब्द-117,पृ.सं.174)                                                                   

 (3) परम गुरु हुजूर डा० लाल साहब-प्रेमप्रचारक विशेषांक ।।                                           
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**       
                     
परम गुरु हुज़ूर डॉ. लाल साहब

सतसंग में राजनीति

हुज़ूर साहबजी महाराज ने फ़रमाया था कि सतसंग सुपरमैन की जाति (race) तैयार करेगा, सुपरमैन से मतलब ऐसी रेस (race)  से है जिसके अंदर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र चारों वर्ण के गुण भरपूर मौजूद हों, सतसंग में चारों वर्णों के गुणों से युक्त पीढ़ियों पर पीढ़ियाँ जन्म लेकर सुपरमैन की जाति का निर्माण करेंगी, ब्राह्मण का काम धर्म का ज्ञान प्राप्त करना है और विद्या का अध्ययन करना है।

क्षत्रिय का काम कम्यूनिटी की रक्षा करना और राजनीति को इस्तेमाल करना, अब जब सतसंग में सुपरमैन की नस्ल पैदा होनी है तो भी राजनीति व भक्ति रीति को एक दूसरे के साथ मिलना पड़ेगा।

राजनीति से यह मतलब नहीं है कि आन्दोलन, हड़ताल, घिराव, धरना या बन्द किए जायँ और सरकार को गिरानेकी कोशिश की जाय और सरकारी पक्ष में अपनी सत्ता, अधिकार व कुर्सी से चिपक कर बैठने की चेष्टा की जाय। राजनीति से मतलब इतना है कि वह नीति जिससे संगठन ऐसा बने जो सुदृढ़ हो और राज्य सुरक्षित रह सके,
दयालबाग़ एक रियासत है तो उसको मजबूत, सुदृढ़ और सुरक्षित बनाने के लिये संगठन आवश्यक है, इसी अभिप्राय में राजनीति का शब्द इस्तेमाल किया गया है।

 सतसंग में राजनीति का मतलब यह है कि सतसंगी दुनियवी चिन्ताओं से मुक्त रह कर परमार्थ का, अपने जीवन का उद्देश्य पूरा करें।.......... सतसंग में राजनीति इस प्रकार का सामाजिक स्वरूप, प्रबंध और शासन स्थापित करने में मददगार होती है जिससे सतसंगी एकता, सुरक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, धार्मिक संतोष व शांतिपूर्ण जीवन को प्राप्त कर सके।


(प्रेम प्रचारक 14 जनवरी, 1980)

(पुनः प्रकाशित 10 जुलाई, 2006 का अंश)**




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