**राधास्वामी!! 17-07-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) खेल ले सतगुरू सँग तू फाग। सखी री तेरा भला बना है दाव।।-(राधास्वामी चरन परस हिलमिल कर। गावत मंगल राग।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-पृ.सं.311)
(2) आज देखो बहार बसंत(सखी)।।टेक।।-(सत्तपुरुष और अलख अगम सब, ठाढ रहे निज घट के पंथ। धन धन राधास्वामी पुरुष दयाला, आप रची जिन आय बसंत।।) (प्रेमबिलास-शब्द-13,पृ.सं.16)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे-
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
17-07- 2020
- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे:-
【 राधास्वामी धाम तथा सदा की मुक्ति】
-( 52 )- राधास्वामी नाम की असलियत बयान करने में रचना के सब स्थानों का उल्लेख भी हो गया। राधास्वामी मत कि शिक्षा के अनुसार रचना के अंतर्गत 3 बड़े और 18 छोटे भाग हैं। बड़े भागों को देश और छोटों को लोक कहते हैं।
प्रत्येक बड़े भाग में 6 लोक हैं । लोक का अर्थ सुरतों या आत्माओं का निवास स्थान है । तदनुसार इन सब लोकों में भिन्न-भिन्न कोटि की रचना है और प्रत्येक लोक में आत्माएँ निवास करती है।
यह पृथ्वीलोक तीसरे अर्थात पिंड या मलिन माया देश का भाग है; इसके ऊपर दूसरा बड़ा भाग अर्थात ब्रह्मांड या निर्मल माया देश है और उससे आगे तीसरा बड़ा भाग निर्मल चेतन देश है। निर्मल चेतन देश में माया की प्रबलता नहीं है। वहाँ की रचना सत्य है और वहां का ज्ञान तथा आनंद भी सत्य है ।यह देश आदि चेतन धार ने रचा है और आदि चेतन धार के सुरत और शब्द दो अंगो के भेद के कारण उसमें 6 लोक स्थापित हुए।
जोकि सुरत अंग चैतन्य शक्ति का बाहर फैलने वाला या केंद्र निर्माणकारक अंग है इसलिए उस अंग के लोक शब्द अंग के (जो केंद्र की ओर आकृष्ट करने वाला है )लोको से नीचे स्थित है। भंवरगुफा, सत्यलोक तथा अनामी सुरत अंग के लोको के नाम हैं। अलख लोक ,अगम लोक,राधास्वामी धाम शब्द अंग के लोको के नाम है।
अर्थात् राधास्वामी धाम निर्मल चेतन देश की चोटी(शिखर) का स्थान है। जोकि निर्मल चेतन देश में प्रलय और महाप्रलय की गति (पहुंच ) नहीं है इसलिए उसके सब लोक अविनाशी है अर्थात यहाँ की रचना का आदि है पर अंत नहीं है।
इस देश के किसी स्थान में पहुंच जाने पर आत्मा को सदा के लिए मुक्ति प्राप्त हो जाती है ,अर्थात यहाँ एक बार पहुंच जाने पर आत्मा की किसी नीचे लोक में पुनरावृत्ति नहीं होती। इसके दो कारण हैं -पहले तो यह देश अविनाशी हैं , दूसरे यहां तक उसी आत्मा की पहुंच होती है जिसमें प्रकृति से संबंध रखने की इच्छा ना रहे अथवा जिसके ऊपर से प्रकृति का लेश पूर्णतया हट जाये।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग पहला-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**.
No comments:
Post a Comment