**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
- रोजाना वाकिआत- 1 दिसंबर 1932- बृहस्पतिवार:-
आज पिल कर काम किया ।यादाश्त भी वापस आ गई ।जिस्म पर जान ने पूरा अधिकार हासिल कर लिया। मौज पलट गई। नया दौर शुरू हो गया। सुबह की डाक से लाला कूडेमल आनंद साहब का एक खत भी मिला। खत का जवाब लिखवाया। डॉक्टर अहमद शफी साहब के मोहब्बत नामें का भी विस्तृत जवाब लिखवाया।।
तीसरे पहर कारखानाजात की सुध ली। सर गणेश दत्त सिंह के इशारे के बमूजिब फाउंटेन पेन बनाया जा रहा था सो बन गया है । उम्मीद है कि अत्यधिक सर्वप्रिय होगा।।
रात के सत्संग में बयान हुआ कि सत्संगी भाई बड़े दिनों की तातीलात में इरादा रखते हैं कि एकदिल व एकजबान होकर दुनिया को सुनायें कि गत 19 या 20 साल के अंदर उनकी संगत ने किस कदर तरक्की कर ली है। उनके विद्यालय और उनके इंतजामात कैसे अच्छे हैं । उनकी आमदनी उनके खर्च और उनकी तादाद में किस कदर बढ़ोतरी हो गई है और बातें बतलाकर सब को सुनायें कि फुलाँ शख्स के मार्गदर्शन में चलने से हमें यह सब कामयाबी हासिल हुई है मगर राधास्वामी दयाल जो सब राजों को जानते हैं और जिनको सब की बेहतरी मंजूर है लगभग 1 माह पेश्तर स्पष्ट फरमाते हैं ए बच्चों ! तुम गलती पर हो सत्संग के सब काम मेरे हाथ में है।
मैं सत्संग के सब ताकत का स्रोत हूँ। क्या सत्संग का प्रेसिडेंट क्या सत्संग का चपरासी मेरे महज औजार है। कर्ता धर्ता मैं हूँ। तुम अपना प्रेम मुझमें लगाओ। यही असली संत मत है। जिस हाड माँस चाम के ढेर को तुम इतना महत्व दिया चाहते हो जरा सी हवा लगने से क्याका क्या बन जाता है । इसलिए हटाओ अपनी तवज्जुह को सब दिशाओं से ।
और कायम करो अपने दिल में प्रेम मेरे साथ । क्योंकि तुम्हारा उद्देश्य हाड माँस चाम का कोई जिस्म नहीं है। तुम रूह हो और रुहानियत के पूजक हो और मैं रूहानियत का भंडार हूँ। यह सब बातें सुना कर कहा गया इसलिए बेहतर है कि हम अपने ख्यालात की सुधार करें राधास्वामी दयाल ही के चरणों का गुनानुवाद गावें।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
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