*||*दोहा||**
**बार-बार कर जोर कर,
सविनय करूं पुकार।।
साध संग मोहि देव नित,
परम गुरु दातार।।।
कृपा सिंधु समरथ पुरुष ,
आदि अनादि अपार। राधास्वामी परम पितु,
मैं तुम सदा अधार।।।
||सोरठा||
बार-बार बल जाउँ,
तन मन वारूँ चरण पर । क्या मुख ले मैं गाऊँ,
मेहर करी जस कृपा कर।।
धन्य धन्य गुरु देव ,
दयासिंधु पूरन धनी।
नित्त करूँ तुम सेव,
अचल भक्ति मोहि देव प्रभु ।।।
दीन अधीन अनाथ,
हाथ गहा तुम आनकर।
अब राखो नित साथ,
दीनदयाल कृपानिधि।
काम क्रोध मद लोभ,
सब विधि अवगुणहार ।
प्रभु राखो मेरी लाज,
तुम द्वारे अब मैं पड़ा।।।
राधास्वामी गुरु समरत्थ,
तुम बिन और न दूसरा ।
अब करो दया परतक्ष,
तुम दर एती बिलँब क्यों।।।
||दोहा||
दया करो मेरे साइयाँ,
देव प्रेम की दात।।
दुख सुख कछु ब्यापे नहीं,
छूटे सब उतपात।।।
👏🏻 राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय**👏🏻
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