**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र-भाग-1-( 26)-
( परमार्थ की जरूरत हर एक जीव को है और संतों के उपदेश का सच्चा उन पूरा फायदा)
-(1) सब जीवों को, चाहे मर्द होवें या औरत, बराबर जरुरत परमार्थी अभ्यास की है, जो कि संतो ने दया करके जारी फरमाया है । यानी जिस वक्त कि मर्द या औरत 20 ,22 वर्ष की उम्र तक पहुंचे , उसी वक्त से उसको मुनासिब है कि संतो के उपदेश के मुआफिक सुरत शब्द योग का अभ्यास शुरू करें ।और जो कोई काम परमार्थी बाहरमुख है( सिवाय इसके की मालिक के नाम पर जीवो को तन धन और धन से सुख पहुंचाना) कोई फायदा अंतरी परमार्थ का नहीं दे सकता है।।
(2) बाहरमुखी कामों में सुरत और मन की धार इंद्रियों के द्वारे बाहर फैलती है और सुरत शब्द के अभ्यास में सुरत और मन की धार बाहर से सिमट कर अंदर में ऊपर को अपने भंडार की तरफ चढ़ती है, और इस अभ्यास से ज्यादा ताकत और सुख मिलता है।।
(3) मालिक ने हर एक जीव में तीन किस्म की ताकतें रक्खी है:- एक देह और इंद्रियों की ताकत, दूसरी विद्या और बुद्धि और मन की ताकत, तीसरी चेतन सुरत यानी आत्मा या रुह की ताकत। लेकिन यह ताकतें तब तक कि मेहनत और शौक के सिथ साधना,और मंथन न किया जावै, तब तक प्रगट नहीं हो सकती है, यानी जिस किसी ने अपने शौक के मुआफिक जिस कुव्वत के जगाने और उसके काम की तरफ तवज्जुह सीखने की करी, उसने उसी काम को उसके सिखाने वाले यानी उस्ताद से मिल कर और मेहनत करके सीख लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसमें कामिल हो गया और उसका फल पाया
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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