**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
- रोजाना वाकिआत- 15 नवंबर 1932- मंगलवार
-सुबह के वक्त एक जिज्ञासु के प्रश्न करने पर रचना का उद्देश्य बयान किया गया। उसके बाद सवालात की बौछार शुरू हो गई और जवाब देते देते 11:30 बज गये। तीसरे पहर सर गणेश दत्त सिंह साहब से मुलाकात की। आपने आज भी दो चीजें भेंट की। अगर यह चीजें मॉडल इंडस्ट्रीज में तैयार हो गई तो मुल्क को बड़ा फायदा होगा।
सर गणेश दत्त सिंह साहब को मालिक ने ईजाद की योग्यता बख्शी है। चुनांचे आज आपने अपनी अनेक ईजादे दिखलाई। आपने वादा किया है कि एक हफ्ता दयालबाग में ठहर कर मुनासिब सुझाव देंगे। आपका दिल देशभक्ति से परिपूर्ण है और आपको लफ्ज "नामुमकिन" से नफरत है । बातों बातों में एक चीज की तैयारी का जिक्र आ गया मैंने कहा यह तो नामुमकिन है आपने फौरन रोक कर कहा नामुमकिन ना कहिये मुश्किल कहिये। मैंने फौरन अपनी संशोधन की ओर आपके रोकने का अंदाजा बड़ा प्यारा मालूम हुआ।।
शाम के वक्त चीफ जस्टिस साहब फिर नुमाइश में आये। लेकिन चूँकि सत्संग का वक्त हो चुका था इसलिए मुझसे मुलाकात ना हो सकी।।
रात के सत्संग में सेवा के सिद्धांत का बयान करके बिहारी भाइयों का शुक्रिया अदा किया गया। इस मर्तबा इन भाइयों ने खूब तन तोड़कर काम किया और मेरे दिल ने कबूल किया कि बिहारी भाई मालिक के खास दया पात्र है ।।
रात को 8:30 बजे मिस्टर सिन्हा की पार्टी में शरीक हुए। करीबन 50 मेंहमान शरीक थे। राजा साहब सूरजपुर भी मौजूद थे । मिस्टर सिन्हा की दरियादिली की तारीफ सुनी थी। लेकिन आज देख भी ली। राधास्वामी दयाल! हमारे पास क्या है जिससे ऐसे प्रेमी सज्जनों की खिदमत कर सके?
यह लोग तकलीफ उठा कर हमारे काम भी करते हैं, सत्संग की इज्जत भी बढ़ाते हैं और सैकड़ों रुपया खर्च करके हमारी नुमाइश को कामयाब बनाते हैं और चलते वक्त पार्टी देकर अपनी दीली मोहब्बत का सबूत पेश करके हमारे दिलों को फतह कर लेते हैं।।
मिस्टर सिन्हा ने एक बच्चा गोद लिया है। उस बच्चे को कुदरत ने अच्छा दिमाग दिया है। आज उसकी बनाई हुई चंद चीजें अवलोकन की। शुक्र है कि मिस्टर सिन्हा बच्चे की ईश्वर प्रदत्त काबलियतों की कद्र करते हैं वरना आम तौर वालादैन बच्चों को किताबों का कीडा देख कर ही खुश होते हैं ।
अगर इस बच्चे को मुनासिब प्रशिक्षण मिल गई तो नामुमकिन नहीं है कि बड़ा होकर यह कोई असाधारण काम कर दिखायें। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
No comments:
Post a Comment