**परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेम पत्र -भाग 1-
कल से आगे :-(37)-
【 मन और इच्छा का बयान】-
(1) पिंडी मन और इच्छा ब्रह्मांडी मन और माया की (जिनको ब्रह्म और माया और शिव शक्ति कहते हैं) अंश है। इनका असली रुझान बाहर और नीचे की तरफ है। और जिस मसाले के यह बने हुए हैं, वह भी तीसरे दर्जे यानी ब्रह्मांड के नीचे के आकाश का मसाला है। यह मसाला भी ब्रह्मांड के मसाले की निस्बत स्थूल है , यानी स्थूल माया की मिलौनी उसमें ज्यादा है और उसके मुख का भी नीचे और बाहर की तरफ झुकाव ज्यादा है, यानी माया के पदार्थों के साथ उसका मेल है और उन्हीं से यह पिंड मन और उसके औजार ,इंद्रियाँ और देह अपना आहार और ताकत लेते हैं।।
(2) जबकि इस मन का यह हाल है, तब जाहिर है कि इसका असली झुकाव इंद्रियों के जरिए से लोगों की तरफ बहुत है , पर उसमें चैतन्य शक्ति जिससे वह काम दे रहा है, सुरत की धार है।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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