जीवन का सार
मैं दस वर्ष का था जब एक बार पिताजी के साथ मुझे उनके एक मित्र के अंतिम संस्कार में जाना पड़ा .....
श्मशान में सब लोग शव को घेरकर खड़े थे। मैं सबसे अलग थोड़ी दूर अकेला खड़ा था और समझने की कोशिश कर रहा था.....
तभी एक व्यक्ति मेरे पास आया और मुझसे बोला:- ज़िन्दगी का आनंद लो, खेलो कूदो और मौज करो........
मैंने अपनी ज़िंदगी का मज़ा नहीं लिया ....
इतना बोलकर वो व्यक्ति मेरे सर पर हाथ फिराकर वहां से चला गया
तभी मेरे पिता ने आवाज देकर मुझे बुलाया और कहा:-
आओ बेटा, मरने वाले के अंतिम दर्शन कर लो.....
मैंने मरने वाले का चेहरा देखा तो बुरी तरह से चौंक गया ...
ये तो उसी व्यक्ति का चेहरा था जो कुछ देर पहले मुझसे बात कर रहा था ....
मैं बुरी तरह डर गया...
उसके बाद बहुत दिनों तक मैं ठीक से सो नही सका ...
अक्सर रात को सपने में मुझे वो चेहरा दिखता और मैं डरकर जाग जाता ....
समय बीतता गया ....
कई डॉक्टर्स और मनोचिकित्सकों को दिखाया पर कुछ फायदा नही हुआ ...
कई साल बीत गए...
फिर ऐसा कुछ हुआ कि मेरी बीमारी पूरी तरह ठीक हो गई......
जब मुझे ये पता चला कि उस व्यक्ति का एक जुड़वाँ भाई भी था जिसने मुझे जीवन सार बताया.
😃😃😃😅😅😅
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