: 🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏राधास्वामी
तेरी दया विचारे, काल विघ्न वे सब ही टारे; मन से खूटं छुड़ाई
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स्वामी तुम काज बनाये सबन के ।
जो कोई सरन तुम्हारी आया ,
दीन गरीबीपन ले ।
सभी भार उसका तुम लीन्हा,
दुख हरे तन मन के ।।
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दास कबीर यह करत बिनती महापुरूष अब मानिए, दया कीजे दरस दीजे अपना कर मोहि जानिए
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दुखित तुम बिन, रटत निसदिन, प्रगट दर्शन दीजिए; बिनती सुन प्रिय स्वामियाँ, बलि जाऊँ बिलम्ब न कीजिएँ
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जिय अकुलावत हिय घबरावत कोऊ उपाव बन आवत. सो उपाव कोई और न सूझत एक चरन की आसा
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गुरू धरा सीस पर हाथ, मन क्यों सोच करे
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पिया मेरे और मैं पिया की, कुछ भेद न जानो कोई, जो कुछ होये सो मौज से होई, पिया समरथ करे सोई
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गुरू प्यारे की दम दम शुक्रगुज़ार
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सुमरिन करले हिये धर प्यार राधास्वामी नाम का आधार
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मैं हू बाल अनाड़ी प्यारे तुम हो दाता अपर अपारे राखो चरनन मोहि सदा रे मेरी निसदिन यही पुकारी
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आज काज मेरे किन्हें पूरे बाजे घट में अनहद तूरे
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गुरु की मौज रहो तुम धार।
गुरु की रज़ा सम्हालो यार।।
गुरु जो करें सो हित कर जान।
गुरु जो कहें सो चित धर मान।।
शुक़र की करना समझ विचार।
सुख दुःख देंगे हिक़मत धार।।
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