Thursday, September 10, 2020

हुजूर सतसंगी साहब का वचन

 परम गुरु महाराज साहब के भंडारे के आरती सतसंग के पश्चात्

ग्रेशस हुज़ूर डा. प्रेम सरन सतसंगी साहब का भाव गर्भित अभिभाषण

(रविवार 10.10.2004)



अभी आपने परम गुरु महाराज साहब के बचन में सुना कि सतसंगी नीचे से नीचे भी बासा पाएगा तो सहसदल कमल में बासा पाएगा। इसके बरख़िलाफ जब एक ग़ैर सतसंगी की मौत होती है तो उसकी सुरत भी पहुँचती तो है ज्योति निरंजन के सन्मुख पर वहाँ पहुँचते ही उसके मन के विकार आसा मनसा प्रकट हो जाते हैं। और उसकी प्रबल इच्छा के प्रकट होते ही उसे वहाँ से नीचे फेंक दिया जाता है और धर्मराय निर्णय लेते हैं कि उसको उसकी प्रबल इच्छा के अनुसार किस योनि में चैरासी में भेजा जाए। और वह कुछ समय के लिए निद्राण अवस्था में चिदाकाश में पड़ी रहती है और फिर जैसा भी उसे स्वर्ग-नरक भोगना होता है वह भोगती है और चैरासी में जा करके किसी योनि में जन्म लेती है। तो यह तो हमारा परम सौभाग्य है कि हम राधास्वामी दयाल की चरन-शरण में हैं और चार जन्मों में हमारा उद्धार निश्चित है। और अगर आप सतसंग,सेवा, अभ्यास और अनुशासन और जो सारे आदेश हैं उनका पालन करें तो यह उद्धार एक जन्म में भी हो सकता है।

 राधास्वामी।

(प्रेम प्रचारक, 8 नवम्बर, 2004)

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