**राधास्वामी!! 30-09-2020
आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) संत बचन हिरदे में धरना । उनसे मुख मोड़न नहीं करना ।। छोड़ कुसंगी से तू प्यार। सच्चा संगी खोजो यार।।-( जो हुआ सतगुरु की छाँह। सूरज लागा उसके पाँव।।) ( प्रेमबानी-3- अशआर सतगुरु महिमा- पृष्ठ संख्या- 385- 386)
(2) ना जानू साहब कैसा है।। टेक।।
Iकोई दिखावे काली मूरत, कोई बतावे गजानन सूरत। रूप भयंकर पेख होय हैरत, क्या साहब तू ऐसा है ।।१।। कोई कहे तुम अरब में बसते,कुँराँ वजीफा के बस रहते।नवी मेहर बिन कभी न मिलते, क्या साहब तू ऐसा है।।४।।(प्रेमबिलास- शब्द 64- पृ.सं.83)
( 3 ) यथार्थ प्रकाश -भाग पहला- कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 30-09-2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन कल से आगे-( 123 ) हे प्रियजनों! उपशामक औषधियों(palliatives) के प्रयोग से कोई व्याधि दूर नहीं हो जाती किंतु क्षणमात्र के लिए दब जाती है। तुम उनके भरोसे न रहो, अपने रोग की नियमपूर्वक चिकित्सा कराओ। तुम्हें पूर्ण स्वतंत्रता है कि यथेष्ट राष्ट्रीय तथा सामाजिक व्यवस्थाएँ स्थापित करो किंतु सच्चे मजहब अर्थात धर्म के से भगवत्प्रदत प्रवर प्रसाद का तिरस्कार न करो। ईश्वर कोई दानव या पिशाच नहीं है। जिस सारतत्व या जौहर की तुम्हारी आत्मा बनी है उसी जोहर के स्रोत यि भंडार को खुदा अर्थात ईश्वर कहते हैं। तुम चैतन्य तत्व के बिंदु हो और वह चैतन्य तत्व का सींधु है। तुम चैतन्य तत्व की किरण हो और वह चैतन्य तत्व का किरण-माली सूर्य है। हर अंश का अंशी होता है। तुम्हारे सारतत्व का भी अंशी है - [वही ईश्वर है] उसके अस्तित्व में नास्तिकताभाव लाना अपने अस्तित्व में नास्तिकभाव लाना है और अपने अस्तित्व में नास्तिकताभाव लाना आत्मघात है।
🙏🏻राधास्वामी
🙏🏻 यथार्थ प्रकाश -भाग पहला- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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