**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात-
28 फरवरी 1933- मंगलवार
:-डेरी जाकर देखा। सब मवेशी अच्छी हालत में है। सिर्फ नई अमेरिकन बछिया को बुखार है। वेटरनरी इंस्पेक्टर सरदार उधम सिंह अपने काम में खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। आज मवेशियों को दोबारा टीका लगाया जावेगा । उम्मीद है दया से इस मर्तबा भी पूरी कामयाबी होगी।।
मुंशी जयदयाल सिंह साहब की रचना आईनए मजहबे हुनूद का अध्ययन किया। रचनाकार की इल्मी जानकारी अच्छी है। गीता, उपनिषदों, पुराणो और मुसलमान फकीरों के कलाम जगह-जगह दर्ज किये है और उचित स्थान पर दर्ज किये है। एक स्थान पर अनहद शब्द का भी जिक्र किया है। मगर अफसोस है कि आपका जाति तजुर्बा बहुत कम है।
मसलन आपने परमेश्वर का दर्शन बिला साधन हासिल करने की जुगती बयान करते हुए लिखा है कि इंसान को चाहिये कि खुदी या दुई का पर्दा हटा दे। बस इतना करते ही परमेश्वर से मेल हो जाता है। लोगों का गुमान है कि महज ख्याली तौर पर खुदी भुला देने से इंसान को परम गति हासिल हो जाती है। और यह खबर नहीं कि जब तक वह कारन जिन्होंने हमारी रूह को रचना के प्रारंभ में मन व माद्दा से वासिल कराया दूर न हो जायें हमारी रुह आजाद नहीं हो सकती और जब तक रुह आजाद नहीं होती दुई का पर्दा बराबर बना रहेगा।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
परम गुरु हुजूर महाराज -
प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे -(10 )
बेकली और तड़प जिस कदर कि रस मिलता है उसको हजम कराने वाली और आयंदा को ज्यादा हासिल कराने वाली और आगे को रास्ता चलाने वाली है। जो यह हालत न होवे तो उतने ही रस और आनंद में मन को शांति आ जावे और आगे को तरक्की बंद हो जावे।
इस वास्ते ऐसी हालत में अभ्यासु को ज्यादा घबराना या निराश होना नहीं चाहिए, बल्कि ज्यादा दया का उम्मीदवार होकर ऐसे वक्त में, जिस कदर बने, कोशिश और मेहनत वास्ते दुरुस्ती से करने भजन और ध्यान के करनी चाहिए। और मन की बेफायदा और नामुनासिब तरंगों को रोकना और हटाना मुनासिब है।।
( 11) यह तरंगे भी थोड़ी बहुत जरूर उठेगी, क्योंकि अभ्यासी जिस कदर रास्ता तय करता है उसी कदर काल और माया से उसकी लड़ाई होती जाती है । और यह दोनों नई नई तरंगे काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार की जिनकी जड़ असल में त्रिकुटी के मुकाम पर है, उठाकर अभ्यासी को गिराना और उसका रास्ता रोकना चाहते हैं।
इस वास्ते अभ्यासी को मुनासिब है कि सतगुरु राधास्वामी दयाल की दया का बल लेकर उन तरंगों को काटता और हटाता जावे। और जो भूल चूक हो जावे या उन तरंगों के साथ लिपटकर गिर जावे या फिसल जावे, तो उसका कुछ अंदेशा नहीं है।
चाहिए कि फिर होशियार होकर अपना काम मजबूती और दुरुस्ती से करें जावे , तो राधास्वामी दयाल की दया से आहिस्ता आहिस्ता इन दोनों के बल को तोड़ता जावेगा और 1 दिन उन पर फतेह पावेगा।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment