**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 शरण आश्रम का सपूत】
कल से आगे-( दूसरा दृश्य)
[ गाँव की चौपाड में कुछ लोग जमा हैं, प्रेमलाल भी है, शिवराम महरुम के खानदान का जिक्र हो रहा है- बिहारी खेलता हुआ पास से गुजरता है ]-
प्रेमलाल - बिहारी! किसे ढूँढते हो? बिहारी- किसी को नहीं, वैसे ही खेलता हूँ। प्रेमलाल- अंदर आ जाओ- तुम्हारे ही घर का जिक्र हो रहा है।( बिहारी चौपाड में दाखिल होता है) प्रेमलाल-( लोगों से) भाई! अब नंबरदारीे बिहारी के नाम चढवानी चाहिये। लोग- बेशक हम तैयार हैं- कल ही दरखास्त लिखवा कर दिलवा दी जावे । प्रेमलाल -क्यों भाई बिहारी -नंबरदारी करोगे न ? बिहारी -मैं नहीं करूँगा । प्रेम लाल -क्यों? बिहारी- नंबरदार की मौत बुरी तरह होती है। मैं नंबरदारी नहीं करूँगा ।सब लोग-( चौक कर) अरे तेरा बाप नंबरदार था -दादा नंबर दार था -उनकी मौत तो बुरी नहीं हुई -यह तुझे क्या सूझी? बिहारी -मेरे बाप की मौत बुरी हुई । प्रेमलाल -(चौंक कर) हैं ! यह क्या कहा- तुम्हारा बाप दमें ही से तो मरा- बीसो आदमी इस बीमारी से मरते हैं। बिहारी- मेरा बाप दमे से नहीं मरा है। मेरे बाप को मेरी अम्मा ने मारा है। सब लोग- अरे ! प्रेमलाल- इसे कहने दो -रोको मत- हाँ तुम्हारा बाप कैसे मरा है। बिहारी- एक दिन अम्मा ने मुझको तुम्हारे घर की बातें सुनने के लिए भेजा- वहाँ अम्मा की शिकायतें हो रही थी। मैं लौट कर घर न गया -क्योंकि मैं जानता था कि चुगली खाने से अम्मा तुम्हारे साथ लड़ाई करेंगी- अम्मा मुझे ढूँढने आई और पकड़ कर ले गई । बहिन भी साथी थी- हमें खूब मारा- हम जमीन पर गिर पड़े- बापू हमें छुडाने उठा- अम्मा ने उसे जोर से धक्का दिया- वह गिरा और मर गया। लोग -हरे राम- हरे राम- गजब हो गया। प्रेमलाल अब हमें क्या करना चाहिये। एक देहाती- अब बात पुरानी हो गई है, करोगे क्या? दूसरा- इस चुड़ैल को फांसी दिलाओगे तो बच्चे रुल जायँगे । तीसरा- क्या मालूम पुलिस हमें ही फाँसने लगे । प्रेमलाल -इस औरत का क्या ऐतबार - वह गुस्से में आकर कहीं इन बच्चों को न मार डालें । एक देहाती- वह डायन की मौसी है -उसका कुछ भरोसा नहीं है। दूसरा- अब जो इनकी किस्मत में लिखा होगा वही सो ही होगा - "करम रेख नह़ि टरे करें कोई लाखों चतुराई ।" प्रेमलाल -नही-नही हमें बच्चों को जरूर बचाना चाहिये। एक देहाती -अजी हरी का भजन करो- झगड़े में न पड़ो -कोयलों की दलाली में हाथ मुँह काला होने को है। दूसरा- हाँ भाई हाँ- "आप आप ही पडी लोकाई। किसका बहिन और किसका भाई ।।" तीसरा -जलती आग में कौन हाथ दे। चौथा-जिसके सर में खुजली हो वह भोंडी के मामले में पड़े। पाँचवा- भाई पीपल की चुड़ैल है, चुड़ैल ।( सब देहाती खड़े हो जाते हैं और चौपाड से निकल कर अपनी अपनी राह लेते हैं। क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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