Tuesday, November 17, 2020

रोजाना wakyat-17/11

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाक्यात- 1 मार्च 1933- बुधवार -


-महात्मा गांधी जब पिछली मर्तबा गोलमेज कांफ्रेंस के लिए लंदन गये थे तो किंग्सले हॉल में ठहरे थे । यह मकान लंदन के ईस्ट एंड में जो गरीबों की बस्ती है स्थित है। चंद धर्मात्मा यहाँ गरीब मर्द व औरतों की खिदमत करते हैं । चुनांचे यहाँ गरीबों के बच्चे भी आते हैं। यह बच्चे महात्मा गांधी से भी मिलते और बातचीत करते थे । महात्मा गांधी को बच्चों से बच्चा बनकर बरतने का ढंग आता है उनके दिल में बच्चों के लिए बड़ी मोहब्बत है।


खैर एक दिन महात्मा गांधी ने बच्चों से तर्क वितर्क किया और उन्हें समझाया कि शरीफ आदमी कभी थप्पड़ का जवाब थप्पड़ से नहीं देते । वह थप्पड़ का जवाब मोहब्बत से देते हैं। दो चार दिन बाद एक शख्स महात्मा गांधी के पास आया और कहने लगा- आज सुबह मेरी छोटी लड़की मेरे पास आई और अचानक उसने मेरे सर पर जोर से थप्पड़ मारा, मैं हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगा ,वह बोली कि अब आप मेरे थप्पड़ नहीं मार सकते , मिस्टर गांधी का यह उपदेश है।

लड़की बेसमझ थी इसलिए उसकी गलती काबिले माफी है मगर देखने में आता है कि बाज सयाने  भी इस किस्म की गलतियों के दोषी होते हैं । कहां कुछ जाता है और वह समझते कुछ है। समझाया कुछ जाता है और वह करते कुछ है। और अपनी इस कार्रवाई को दुरुस्त मानते हैं।

 मसलन पिछले महात्माओं का कौल है कि अंधे बनकर किसी बात का अनुसरण मत करो, अपनी अकल इस्तेमाल करके खुद उस बात के मुतअल्लिक़ तहकीकात करो और इत्मीनान होने पर उसकी तकलीद करो। और लोग उसके मायने लगाते हैं कि बस सब महात्माओं के उपदेश रद्द, सब बुजुर्गों के कॉल गलत, जो अपने मन में आवे सो करो , न किसी गुरु की जरूरत है न किसी रहनुमा की आवश्यकता

क्रमशः

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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