**राधास्वामी!! 22-11-2020
- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) सखी री मेरे भाग जगे। मैने सतगुरु पाए री।।-(मैं बलहीन नहीं गुन कोई। राधास्वामी लिया अपनाए सखी री।।) (प्रेमबानी-1-शब्द-31,पृ.सं.178)
(2) अचरज आरत गुरु की धारूँ। उमँग नई हिये छाय रहे री।।टेक।। -(राधास्वामी मेहर से हिये में सबके। छिन छिन प्रेम बढाय रहे री।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-9-पृ.सं.36) सतसंग के बाद:-
(1) शेरो सखुन का गाना कोई हमसे सीख जाय। कहता हूँ एक तराना कोई हमसे से सीख जाय।।-(सोहबत का राधास्वामी का गर शौक हो गया। उनकी जुगत कमाना कोई हमसे सीख जाय।।) (प्रेमबिलास-शब्द-10-पृ.सं.13,14)
(2) मैं गुरु प्यारे के चरनों की दासी।।टेक।। नित उठ दरशन करूँ उमँग से। हार चढाऊँ अपने गुरु सुख रासी।।-(राधास्वामी मेहर से काज बनाओ। दीजे मोहि निज चरन बिलासी।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-1-पृ.सं.195,196)
(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरुँ या कि मेहनत करूँ। पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलू कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो । रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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