**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 शरण- आश्रम का सपूत】
- पहला अंक -[पहला दृश्य]
-( एक देहाती मकान में भोंडी, बिहारी व सोभी बैठे हैं । बूढ़ा शिवराम एक तरफ चारपाई पर लेटा है)
भोंडी- बिहारी! जरा जाओ और सुनकर आओ की प्रेमलाल के घर में क्या बातें हो रही है , चुप से जाना।
( बिहारी उठकर जाता है, सोभी हमराह जाती है, प्रेमलाल के मकान में दाखिल होते हैं। वहाँ प्रेमलाल की बीवी और दो औरतें भोंडी की बुराई और बच्चों पर तरह की बातें कर रही हैं। दो-चार मिनट के बाद दोनों वापस होते हैं और मकान से बाहर निकल कर आपस में बातें करते हैं )
सोभी -भाई अगर तुम अम्मा को यह बातें बतला दोगे तो मैं उनके संग बहुत लडेगी। ये बेचारे हमारे ऊपर तरस कर रहे हैं। हमें इन्हे झगड़े में नहीं डालना चाहिये।।
बिहारी - तुम सच कहती हो -हम अम्मा को कुछ न बतावेंगे ।
सोभी - तो क्या झूठ बोलोगे?
बिहारी- झूठ काहे को बोलेंगे।
सोभी- तो फिर क्या करोगे।
बिहारी -गली में घंटा आध घंटा खेल कर घर जावेंगे इतने में अम्मा सब भूल जाएगी और हमें जवाब देना न पड़ेगा।
सोभी- वाह! भाई वाह ! यह ठीक सलाह है।
(यह बातें करके गली में जाते हैं और दूसरे बच्चों के साथ खेलने लगते हैं। थोड़ी देर बाद भोंडी झुँझलाई हुई आती है और सोभी की चुटिया और बिहारी की गर्दन पकड़ कर घर की तरफ दोनों को घसीटती और ढकेलती है)
क्रमशः
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
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