Monday, November 9, 2020

सबसे प्रिय प्रसाद

 लक्ष्मी माता को पांच प्रसाद जो  सबसे अधिक प्रिय 

. दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या का दिन दीपावली के रूप में पूरे देश में बडी धूम-धाम से मनाया जाता हैं

मखाना का भोग

लक्ष्मी मैया को मखाना प्रिय है। इसका कारण यह है कि लक्ष्मी माता जल से प्रकट हुई हैं। मखाना भी जल में पलता बढ़ता है, यानि जल से जन्म लेता है। सागर को मथने के बाद जैसे लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं उसी प्रकार मखाना भी जल में एक कठोर आवरण में ढ़का रहता है।

पांच प्रसाद जो लक्ष्मी माता को सबसे अधिक प्रिय है

मखाने की तरह जल सिंघारा भी पानी के अंदर फलता है। अक्टूबर नवंबर में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान यह बाजार में खूब मिलता है। जल से उत्पन्न होने के कारण यह भी लक्ष्मी मैया को बहुत पसंद है। शास्त्रों में कहा गया है कि देवी-देवताओं को मौसमी फल प्रिय होता है। इसलिए जिस मौसम में जिस देवी देवता की पूजा हो।

उस मौसम का फल देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए। दीपावली के मौसम में जल सिंघरा मौसमी फल होता है इसलिए भी यह देवी लक्ष्मी का प्रिय है।

पांच प्रसाद जो लक्ष्मी माता को सबसे अधिक प्रिय है

श्रीफल दे उत्तम फल

शास्त्रों में नारियल को श्रीफल कहा गया है। देवी लक्ष्मी का एक नाम 'श्री' भी है। लक्ष्मी माता का प्रिय फल होने के कारण ही नारियल को श्रीफल कहा गया है। मखाने की तरह यह भी कठोर आवरण से ढंका रहता है। जिससे यह शुद्ध और पवित्र रहता है। लक्ष्मी मैया को नारियल का लड्डू, कच्चा नारियल एवं जल से भरा नारियल अर्पित करने वाले पर माता प्रसन्न होती हैं।

पांच प्रसाद जो लक्ष्मी माता को सबसे अधिक प्रिय है

बताशे से करें लक्ष्मी मां का मुंह मीठा

जिस प्रकार गणेश जी को मोदक प्रिय है उसी प्रकार लक्ष्मी माता को बताशे पसंद है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मखाना, जल सिंघार और बताशे ये तीनों ही चन्द्रमा से संबंधित वस्तुएं हैं। चन्द्रमा जल का कारक है।

चन्द्रमा को देवी लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है। चन्द्र से संबंध होने के कारण बताशे माता को प्रिय हैं। यही कारण है कि दीपावली में बताशे लक्ष्मी माता को अर्पित किए जाते हैं।

पांच प्रसाद जो लक्ष्मी माता को सबसे अधिक प्रिय है

पान की लाली मां को भाये

दुर्गा सप्तशती में के तीसरे अध्याय में महिषासुर वध की कथा है। महिषासुर से युद्ध करते हुए देवी थक जाती हैं। थकान दूर करने के लिए माता मधु से भरा पान खाती हैं। इसके बाद माता कहती हैं कि महिषासुर क्षण भर गरज ले, अभी युद्ध में मैं तुम्हारा वध करुंगी। इतना कहते ही माता महिषासुर पर आक्रमण कर देती है और महिषासुर शीघ्र ही माता के हाथों मारा जाता ।

महिषासुर का वध करने वाली देवी महालक्ष्मी को माना जाता है। माता को पान बहुत पसंद है। मधु यानी शहद से भरा पान खाने के बाद जब होंठों पर पान की लाली आ जाती है तो इसे देखकर देवी आनंदित होती है। इसलिए पूजा के बाद सबसे अंत में देवी को पान अवश्य भेंट करना चाहिए।

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