**राधास्वामी!! 08-11-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) आज गाऊँ गुरु महिमि मन उमँग जगाय।।टेक।। राधास्वामी नाम बसा मेरे हिय में। चरन गुरु रहे घट में छाय।।-( हे राधास्वामी प्यारे सतगुरु। तुम बिन और न कोउ सुहाय।।) (प्रेमबिलास-शब्द-50,पृ.सं 63,64)
(2) तजो मन यह दुख सुख का धाम। लगो तुम चढ कर सब सतनाम।।-(राधास्वामी कहत सुनाई। खोज करो निज नाम।।) (सारबचन-शब्द-9वाँ, पृ.सं. 286)
सतसंग के बाद:-
(1) गुरु गहो आज मेरी बहियाँ। मैं बसू तुम्हारी छइयाँ।।-(राधास्वामी चरन समइयाँ। छिन छिन मैं लेउँ बलइयिँ।।) (सारबचन शब्द-4,पृ.सं.631,632) (2) आज घडी अति पावन भावन। राधास्वामी आये जक्त चितावन।।-(राधास्वामी शब्द मनावन। सुरत चढी देखा घट चाँदन।।) (सारबचन-शब्द-4,पृ.सं.556)
(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरुँ या की मेहनत करुँ।। पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी के तेरु के मुवाफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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