प्रस्तुति - कृष्ण मेहता: (मोरनी पंचकूला हरियाणा )
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~
🌞⛅ *दिनांक 07 नवम्बर 2020*
⛅ *दिन - शनिवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)*
⛅ *शक संवत - 1942*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - हेमंत*
⛅ *मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - अश्विन)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - षष्ठी सुबह 07:23 तक तत्पश्चात सप्तमी*
⛅ *नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 08:05 तक तत्पश्चात पुष्य*
⛅ *योग - शुभ 08 नवम्बर प्रातः 05:19 तक तत्पश्चात शुक्ल*
⛅ *राहुकाल - सुबह 09:33 से सुबह 10:58 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:44*
⛅ *सूर्यास्त - 18:00*
⛅ *दिशाशूल - पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण -
💥 *विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय* 🌷
👉🏻 *08 नवम्बर 2020 रविवार को (सूर्योदय से सुबह 07:30 तक) रविवारी सप्तमी है।*
🙏🏻 *रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-*
🌷 *"जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।"*
💥 *नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि*
🙏🏻 *सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।*
🌷 *इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।*
🙏🏻 *(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय (10)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *रविवार सप्तमी* 🌷
🙏🏻 *रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता |*
🙏🏻 *रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |*
🌞 *सूर्य भगवान पूजन विधि* 🌞
🙏🏻 *१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |*
🙏🏻 *२) जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |*
🌞 *सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र* 🌞
🌷 *1. ॐ मित्राय नमः।*
🌷 *2. ॐ रवये नमः।*
🌷 *3. ॐ सूर्याय नमः।*
🌷 *4. ॐ भानवे नमः।*
🌷 *5. ॐ खगाय नमः।*
🌷 *6. ॐ पूष्णे नमः।*
🌷 *7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।*
🌷 *8. ॐ मरीचये नमः।*
🌷 *9. ॐ आदित्याय नमः।*
🌷 *10. ॐ सवित्रे नमः।*
🌷 *11. ॐ अर्काय नमः।*
🌷 *12. ॐ भास्कराय नमः।*
🌷 *13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।*
🙏🏻 *सुरेशनंदजी महाराज*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *पुष्य नक्षत्र योग* 🌷
➡ *08 नवम्बर 2020 रविवार को सूर्योदय से सुबह 08:46 तक रविपुष्यमृत योग है ।*
🙏🏻 *१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –*
*ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |*
🌷 *कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में* 🌷
🌳 *बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *रविपुष्यामृत योग* 🌷
🙏🏻 *‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |*
🙏🏻 *इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🌷🌺🙏
[11/7, 05:19] Morni कृष्ण मेहता: **प्रस्तुति**-
**पंडित कृष्ण मेहता** तुलसीदास ने भगवान शिव की कृपा से रामचरित मानस की रचना की थी। रामचरित मानस के प्रत्येक दोहा स्वयं एक सम्पूर्ण मंत्र है। संस्कृत मंत्रो का शुद्ध उच्चारण एवं उनकी साधना विधि को हर कोई नही कर सकता है। इसी कारण इन मानस मंत्रो का साधको के लिए उच्चारण हिन्दी भाषा के कारण सरल है। ये मंत्र कभी अशुभ फल नही देते। इसी कारण आमजन भी इसका पाठ कर अनुकूल लाभ प्राप्त करते है। इप मंत्रो को आप स्वंय करे एवं संभव होने पर जप का दशांश हवन भी किसी ब्राह्मण के मार्गदर्शन में कर सकते है। मानस मंत्र स्त्रियां भी अपनी मनोकामना के अनुसार कर सकती है। केवल रजस्वला अवधि में इन्हे मंत्रो का जाप नही करना चाहिए।
किसी भी मानस मंत्र का जाप जैसे-जैसे बढता जाता है। वैसे-वैसे उसकी फल प्राप्ति भी बढती जाती है। मंत्र जाप का प्रारंभ आप अपनी मनोकामना के अनुसार सिद्ध दिवस का चयन करे। इसके लिए आप स्वंय पंचांग देखकर दिवस एवं समय का निर्धारण करे। जिस प्रकार अन्य मंत्रों का जाप करते है। उसी प्रकार इन मंत्रो का जाप भी पूर्णत पवित्र होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर करना चाहिए। अन्य मंत्रों का जाप करने से पूर्व जिस प्रकार विलोचन या विनियोग किया जाता है। उसी प्रकार मानस मंत्र का जाप करने से पहले रक्षा मंत्र का ग्यारह बार जाप करना चाहिए है। मंत्र इस प्रकार है-
मामभिरक्षय रघुकूल नायक।
घृत वर चाप रूचिर कर सायक।।
इसके पश्चात अपने अनुकूल मंत्र का जाप प्रारंभ करना चाहिए। मंत्र जाप करते समय श्री राम पंचायत का चित्र अपने घर में लगाए। उन्हे धुप दिप,पुष्प,गंध अर्पित करे एवं कोई मिष्ठान का भोग लगाए। इसके पश्चात मंत्र का जाप प्रारंभ करना चाहिए। अन्य मंत्रों की भांति इन मंत्रों को भी सिद्ध करके जाप किया जाए तो इसका परिणाम भी अच्छा रहता है। जिस मंत्र को आप सिद्धा करना चाहते है। उस मंत्र को किसी शुभ समय में ग्यारह माला जाप करना चाहिए। अन्तिम माला जाप करते समय मंत्र के अन्त में स्वाहा लगाकर आहुति देनी चाहिए। मानस मंत्रों की सिद्धि करते समय हवन में पिपल या आम समिधा का प्रयोग किया जाता है। इनके उपलब्ध न होने की स्थिति में जंगल में से अर्थात ऐसे उपले जो थेपे हुए ना हो। हवन सामग्री में गाय का घी, शक्कर, कपुर, केसर, चंदन, तिल, अगर, तगर, चावल, जौ, नागरमोथा एवं नारियल का प्रयोग किया जाता इन सभी हवन सामग्री को एक पात्र में मिलाकर हवन करने से पूर्व तैयार करे। सामग्री कम या अधिक कोई को तो इनकी कोई चिंता नही करे। सभी सामग्री का अंश हवन करते समय आहुति में आना चाहिए। मंत्र जाप एवं हवन करते समय आप उतर की और मुंह करके पाठ करे तो अच्छा। अन्यथा पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके भी आप ईशान में पूजा धर होने पर कर सकते है। मंत्र का इस प्रकार जाप करने के पश्चात मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर प्रतिदिन नियत समय स्थान पर एक माला जाप करना चाहिए ताकि आपको दिन प्रतिदिन शुभ फलों की प्राप्ति भी बढती रहें।
आपकी मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष मानस मंत्र दिए जा रहे है। जिसमे से आप भी अपनी ईच्छा के अनुसार मानस मंत्र का चयन कर प्रयोग कर सकते है।
शीघ्र विवाह के लिए
तब जनक पाई बसिष्ठ आयसु,ब्याह साज संवारि कै।
मांडवी श्रृत किरति उर्मिला, कुंअरि लई हंकारि कैं।।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरू ग्रह गये पढन रघुराई।
अलप काल विद्या सब आई।।
ग्रह प्रवेश या किसी अन्य प्रदेश में व्यापार प्रारंभ करते समय
प्रबिसि नगर कीजे सग काज।
हृदय राखि कौसलपुर राजा।।
सुख सम्पति प्राप्ति हेतु
जे सकाम नर सेनहि जे गावहिं।
सुख सम्पति नाना विधि पावहि।।
आपसी प्रेम बढाने के लिए
सब नर करहि परस्पर प्रीति।
चलाहि स्वधर्म निरत श्रति नीति।।
रोगनाशः उपद्वनाश हेतु
देहिक दैविक भौतिकता तापा।
राम राज लही काहुीि व्यापा।।
वशीकरण के लिए
करतल बान धनुष अति सोहा।
देखत रूप चराचर सोहा।।
सभी विपतियों के नाश के लिए
राजिव नयन धरें धनु सायक।
भगत बिपति भजन सुखदायक।।
भाग्योदय के लिए
मंत्र महामनि विषय ब्याल के लिए।
मेटत कठिन कुअंक भाल के।।
संतान प्राप्ति के लिए
एहि विधि गर्भ सहित सब नारी।
भई हृदय हरषित सुख भारी।।
बा दिन ते हरि गर्भहि आये।
सकल लोक सुख संयति छायें।।
निर्धनता निवारण हेेतु
अतिथि पुज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारी के।।
शत्रुता निवारण हेतु
गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
मोपद सिंधु अनल सितलाई।।
ज्वर नाश के लिए
स्ुानु खगपति यह कथा पावनी।
त्रिविध ताप भव भय दावनी।।
अकाल मृत्यु दोष दूर करनें हेतु
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हारा कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।
कोर्ट केस में विजय प्राप्ति हेतु
पवन तनय बल पवन समाना।
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कबि उर अजिर न चावहि बानी।।
व्यक्तित्व में निखार हेतु
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहूं।
सो तेहि मिलई न कछु संदेहूं।।
मोक्ष प्राप्ति हेतु
मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुवीर।
अस विचारि रघुवीर मनि हरहु विषय भव भीर।।
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