**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाकिआत-
कल से आगे:
- शाम के वक्त एक अमेरिकन लेडी मिलने आई ।आपका नाम मैसेज व्हीलर है । आपको श्रीनगर में दयालबाग का पता चला। उनसे बातें हो ही रही थी कि रोजदो और लेडीस कांगड़ा से मिस्टर सोरेन सेन का खत लेकर आईं। यह कुछ दिन दयालबाग में रहना चाहती है। यह तीनों महिलाएं रात के सत्संग में शरीक हुई। इनके अलावा फोर्ट सैंडमैन से जो दो जिज्ञासु भी आये। उनमें से एक ने 2 सवाल पेश किये। पहला सवाल यह था कि प्रार्थना करने का सबसे बेहतर तरीका कौन सा है और दूसरा सवाल यह था आया इंसान किस्मत की जंजीर में बंधा है यानी उसके कुल कर्म पहले से मुकर्रर है या वह अपनी किस्मत का मालिक है और उसे स्वतंत्रता हासिल है। करीबन 1 घंटा इन सवालों के जवाब में खर्च हुआ । प्रार्थना का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इंसान अपने तन व मन को स्थिर करें और फिर अपनी तवज्जुह अंतर में मालिक के चरणो में जोड़ें। और किसी माहिर से दरियाफ्त करके ढंग से मुनासिब उस दरवाजे को खटखटायें जो सच्चे मालिक की दिशा में खुलता है। जब किसी शख्स की प्रार्थना मालिक के हुजूर पहुंचती है तो अव्वल उसकी जानिब से दया की रवाँ होती है। जिसके प्रभाव से प्रार्थना करने वाले की रूह सिमट कर ऊँचे मुकाम पर पहुंच जाती है।
फिर अंतर में दर्शन और इशारे में प्रार्थना का जवाब मिलता है। प्रेमी जन को प्रार्थना पेश करने के लिए मुंह खोलना नहीं पड़ता। उस घाट पर सब काम इशारों में हो जाता है। दूसरे सवाल के जवाब में बताया गया कि इंसान एक हद तक पराधीन भी है और एक हद तक आजाद भी है। इंसान के लिए सृष्टि नियमों की पाबंदी कतई लाजमी है लेकिन उसे इजाजत है कि अपने आराम के लिए एक सृष्टि नियम को इस्तेमाल करके दूसरे की शक्ति जायल कर दें। जैसे (Alkali) अलकाली डालने से तेजाब का असर जायल कर दिया जाता है।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -
【शरण आश्रम का सपूत】
कल से आगे- मुंशी जी- (घबरा कर) हुजूर मैंने क्या- मेरे बाप दादा परदादा नगडदादा सगडदादा मकडदादा वगैरह-वगैरह ने कभी झूठ नहीं बोला- औरत झूठ बोलती है। मेरे रजिस्टर में जो इस वक्त मेरे पास नहीं है, रुपया इसी के नाम से जमा है। हुजूर इत्मीनान फरमावे कि बंदा बिल्कुल सच बोलने वाला है- हुजूर का इकबाल कायम रहे ।(डरता है) भोंडी -अच्छा! राय साहब बाहर खड़े होंगे उन्हें बुलवा कर पूछा जावे, वे गवाही के लिये आये हैं (राय साहब बुलाने पर अंदर आते हैं) रायसाहब- हुजूर को सलाम। मजिस्ट्रेट - रायसाहब! मिजाज अच्छा है। वकील - रायसाहब क्या हम झूठे हैं। रायसाहब-(मजिस्ट्रेट से) हुजूर की परवरिश है- मिजाज तो अच्छा है लेकिन इस बिचारी दुखियारी---------- वकील -(बात काट कर) भटियारी- मक्कारी- बदकारी- झुठियारी- नाकारी- शरारी और आपकी दुलारी- कहो ,कहो। रायसाहब-( हैरान होकर ) इस बेचारी दुखियारी औरत का सब हाल जानने से तबीयत सख्त पेच व ताव में है। वकील-(आहिस्ता से) अभी से क्या पेच व ताव खा रहे हो- आगे आगे देखिए होता है क्या। रायसाहब -इसके साथ इन्तहा का जुल्म हुआ है । और इसकी दादरसी फरमावें। गुलाम पहले भी इस मामले की रिपोर्ट हुजूर से कर चुका है । इसके बच्चे इसे दिलायें जायँ या न दिलाये जायँ मगर आश्रम वालों को जरूर सजा मिलनी चाहिये। पहले इन लोगों ने स्कूल खोला, वह न चला तब कॉलेज खोल दिया - वह भी न चला तब कारखाना खोल दिया- वह भी न चला तब शरण-आश्रम खोला और जब यह भी न चलेगा तो और कुछ खोल देंगे खुदा मालूम इतने काम चलाने के लिए रुपया कहाँ से आता है। मुझे शुबह है कि यह लोग आश्रम से रुपया कमाते हैं।
क्रमशः.
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✌️✌️✌️🙏✌️✌️कक
**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे:-( 3 ) जब भजन में बैठे और गुनावन यानी ख्यालात दुनियँ के पैदा होंवें तो चाहिए कि उनको हटावे और दूर करें। और जो ऐसा न कर सके तो मुनासिब हैं कि उस वक्त सुमिरन और ध्यान उसी आसन से बैठे हुए करें । जो ध्यान में मन लग जावेगा तो ख्यालात दूर हो जावेगे । और जो फिर भी मन ख्यालात उठाता रहे, तो भजन और ध्यान छोड़कर नाम का सुमिरन धुन के साथ उस कायदे से जैसा कि प्रेम पत्र के वचन 39 में लिखा है मन ही मन में या थोड़ी आवाज के साथ एक या पौन घंटे सुरत और मन और दृष्टि को सहदलकँवल के मुकाम पर जमाकर और आंखें बंद करके करें । इस तौर से जरूर सुमिरन का रस आवेगा और मन निश्चल हो जावेगा। फिर इख्तियार है कि चाहे ध्यान करे या भजन करे और जो शांति आ गई हो गई होवे, और तबीयत ज्यादा अभ्यास को न चाहे या फुर्सत न होवे तो उठ खड़ा होवे। क्रमशः 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
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