**राधास्वामी!! 10-02-2021- आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:- सतसंग से पहले कव्वाली गाई गयी-
(1) बधाई हो बधाई।(प्रे.ब.जोशी जी व पार्टी)
(2) दिल का हुजरा साफ कर।(मनु बहनजी व पार्टी)
(1) सुरतिया धूम मचाय रही। करें गुरु क्यों नहिं दया बिचार।। जस तस मन कुछ शांती पावे। सोई जुगत करो दातार।।दीन दयाल जीव हितकारी। प्यारे राधास्वामी मेरे प्राण अधार।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-2-पृ.सं.105,106)
(2) साहब इतनी बिनती मोरी। लाग रहे दृढ डोरी।।टेक।। जनम जनम बहु भटके खाये। भरम फिरा चहुँ ओरी। हार हार सब बिधि से हारा। नाम आधार लियो री।।-(चरन ते सीस टरै नहिं टारे। ऐसी मेहर करो री। हे राधास्वामी पुरुष अपारे। कस के बाहँ गहो री।।) (प्रेमबिलास-शब्द-3-पृ.सं.3,4)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 10-02 -2021- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-
( 151)- नि:संदेह बुद्धिमान पति संसारी अर्थात गृहस्थी के कामकाज में अपनी पत्नी का पथप्रदर्शन कर सकता है किंतु यदि कोई पति आध्यात्मिक विद्या से विहीन है और आध्यात्मिक साधना से सर्वथा अनभिज्ञ है तो परमार्थ के विषय में वो अपनी स्त्री का क्या पथप्रदर्शन करेगा?
और जोकि एक साधारण मनुष्य होने की दशा में वह अपने मन और इंद्रियों का किंकर है इसलिए उसे ईश्वर कहना ईश्वर का तिरस्कार करना है। सच बात यह है कि सतगुरु की शलेने की जैसी आवश्यकता पुरुषों को है वैसे ही स्त्रियों को हैभी ।पर जो कि इस देश की स्त्रियाँ साधारणतया इस योग्य नहीं है कि सतगुरु की खोज और पहचान कर सकें इसलिए उनको उचित है कि जहाँ उनके पति अपना विश्वास स्थिर करें पहले उसी और अपना ध्यान दें और यदि उनकी वहाँ शांति न हो तो अपने पति से शिकायत करें और जो वह शिकायत ठीक हो तो पति को चाहिए कि किसी दूसरे स्थान में खोज करें और इस प्रकार पुरुष और स्त्री मिलकर जिज्ञासा करें और परमार्थ कमावें।। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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