आज है मौनी अमावस्या,इस दिन मौन रहने से आध्यात्मिक विकास होता है-पं0 कृष्ण मेहता
आज है माघ मास की मौनी अमावस्या, उत्तम फलदाई है मौनी अमावस्या,आज ही शनि भी उदित होगा।अमावस्या और मकर राशि के अधिपति हैं, शनिदेव 13 घंटे पहले इसी दिन शनि भी उदित होगा।अमावस्या और मकर राशि केअधिपति हैं शनिदेव ऋषियों औरपितरों की पूजा के साथ ही स्नान-दान के लिए भी उत्तम फलदाई है मौनीअमावस्या शनि के उदित होने से बढ़ सकती है साढ़ेसाती और ढय्या वालों
की मुश्किलें।मौनी अमावस्या 11 फरवरी, गुरुवार को पूरे दिन रहेगी। धर्मशास्त्रों केमुताबिक, माघ महीने की इस मौनी
अमावस्या पर सूर्योदय के साथ गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना पवित्र माना गया है। इस दिन मौन रहने से आध्यात्मिक विकास होता है।
इसी कारण ग्रंथों में इसे मौनी अमावस्या कहा गया है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। ऋषियों और पितरों के निमित्त की गई पूजा, जलार्पण और दान करने के
लिए ये पर्व उत्तम फलदायी होता है।
ये पर्व इस बार इसलिए खास माना
जा रहा है, क्योंकि अमावस्या के अधिपति देवता स्वयं शनि हैं, जो अपनी ही राशि यानी मकर में इसी दिन उदय होगा।
अपनी राशि में उदित होगा शनि ग्रह----
अमावस्या के दिन सुबह तकरीबन
06:05पर शनि ग्रह करीब एक महीने बाद उदय हो जाएगा। इससे पहले जनवरी में मकर संक्रांति के 03 दिन पहले ही सूर्य के करीब आ जाने से
शनि अस्त हो गया था। इस कारण शनि के शुभ-अशुभ फल में कमी आ गई थी। अब अपनी ही राशि में उदय होने से शनि का प्रभाव बढ़ जाएगा। ऐसी स्थित में जब अमावस्या का दिन हो और शनि उदय हो रहा हो, तब जरूरतमंद लोगों, बूढ़े और रोगियों की
मदद करने के साथ ही श्रद्धा के मुताबिक दान करना शुभ फलदाई रहेगा।
बढ़ेगी साढ़ेसाती और ढय्या वालों की
मुश्किलें--
ज्योतिष के संहिता ग्रंथों में बताया गया है कि शनि क्रूर ग्रह है और इसके अस्त होने पर शुभ फल मिलता है। लेकिन अब शनि के उदित हो जाने से धनु, मकर और कुंभ राशि वालों पर
साढ़ेसाती का प्रभाव बढ़ेगा। जिससे धनु राशि वालों के लिए अच्छा समय रहेगा। लेकिन मकर और कुंभ राशि वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, मिथुन और तुला वालों पर ढय्या
होने से शारीरिक परेशानियां और कामकाज में अनचाहे बदलाव हो सकते हैं।
पूजा-पाठ और स्नान-दान के लिए पूरे दिन पुण्यकाल--
अमावस्या 11 फरवरी की रात तकरीबन 12:39 से शुरू होगी जो की पूरे दिन रहेगी और रात 11:47 पर खत्म होगी। इस कारण 11 फरवरी
को सूर्योदय से सूर्यास्त तक अमावस्या का पुण्यकाल रहेगा। इस दौरान स्नान- दान के अलावा पितरों के लिए श्राद्ध आदि करने का भी विधान है।
रामचरित मानस के बालकांड में भी
उल्लेख--
माघ मकरगति रवि जब होई, तीरथपतिहि आव सब कोई।।
देव दनुज किन्नर नर श्रेणी,
सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी।।
यानी माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होता है तब तीर्थपति यानी प्रयागराज में देव, ऋषि, किन्नर और अन्य गण तीनों नदियों के संगम में
स्नान करते हैं। प्राचीन समय से ही माघ मास में सभी ऋषि मुनि तीर्थराज प्रयाग में आकर
आध्यात्मिक-साधनात्मक प्रक्रियाओं
को पूर्ण कर वापस लौटते हैं।
महाभारत के एक दृष्टांत में भी इस
बात का उल्लेख है कि माघ मास के
दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता
है।
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