**राधास्वामी!! 08-02-2021-आज सुबह सतसंग में पढे जाने वाले पाठ:-
(1) घर आग लगावे सखी। सोइ सीतल समुँद समावे।।
मानसरोवर निरमल धारा। ता बिच पैठ अन्हावे।।
-(राधास्वामी सतगुरु पावे। तब घर अपने आवे।।)
(सारबचन-शब्द-दूसरा-पृ.सं.260)
(2) हिंडोला झूले सुर्त प्यारी।।टेक।।
सतसंगी सब हिलमिल झूलें। सुरत शब्द धारी।।
-(पूरा काज बना इक इक का राधास्वामी चरनन बलिहारी।।)
(प्रेमबानी-2-शब्द-52-पृ.सं.402)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज-
भाग 1- कल से आगे:
-हुजूर ने यह भी फरमाया की उसी प्रेम प्रचारक उसी पहले सफे का दूसरा बचन "स्वार्थी संस्थाओं की गरज" आप पढ़िए। उसमें अंत में एक निहायत जरूरी वाक्य हिदायत की शक्ल में आप तमाम साहबान के तरीके अमल के लिए लिखा है। साहबजी महाराज फरमाते हैं कि सत्संगी भाई और बहने अपने तई राधास्वामी दयाल के खानदान का मेंबर समझे, मिल कर जिंदगी बसर करना सीखें और उन्नति के लिए जो हिदायतें जारी हो उनकी दिलोजान से तामील करें और फिर देखें कि आइंदा कैसे आराम से जिंदगी कटती है ।
इन पंक्तियों में भी उसी प्रोग्राम की तरफ इशारा है। मौजूदा प्रोग्राम में भी एक खानदान की तरह मिलकर काम किया जा रहा है। अब अगर शिकायत है तो फकत इस बात की है कि उपरोक्त विषय की पूर्ति सत्संगी साहबान की तरफ से मुनासिब तरीके से नहीं हो रही है।
मेरा मतलब यह है कि वक्त फवक्तन् जो हिदायतें इस प्रोग्राम के पूरा करने के संबंध में हेडक्वार्टर्स या बिजनेस सेक्रेटरी साहब द्वारा जारी की जाती है उनकी तमिल जैसी कि चाहिए, नहीं की जा रही है, जिसकी वजह से मजबूर होकर प्रोग्राम की उन्नति और वृद्धि रुक जाती है। बिजनेस सैक्रेटरी साहब की तरफ से जो हिदायतें जारी होती है उनके बारे में ख्याल नहीं करना चाहिए कि यह उनके ही दिमाग की उपज है।
ऐसी हिदायतें बाकायदा इजाजत लेने के लिए जारी की जाती है। इसलिए आप साहबान को उनको महत्वपूर्ण व आवश्यक समझ कर जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[भगवद् गीता के उपदेश]-
कल से आगे
:-कृष्ण जी का उपदेश सुनकर अर्जुन ने दर्याफ्त किया- महाराज! अब यह बताइये कि इंसान को उसकी मर्जी के खिलाफ पापकर्म करने के लिए कौन शक्ति मजबूर करती है ?
कृष्ण जी ने फरमाया - "काम क्रोध" ही जो रजोगुण की पैदावार है इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। सबको निगलने और नापाक करने वाला है। जैसे अग्नि को धुआँ ढाक लेता है और आईने को धूल छुपा लेती है और गर्भ के बच्चे को झिल्ली लपेटे रहती है ऐसे ही संसार को काम घेरे हुए हैं।
बुद्धिमानों की बुद्धि को यही हमेशा का दुश्मन कामना रूप से ढांक (ढका हुआ) लेता है और जलती हुई आग की तरह उसकी कभी तृप्ति नहीं होती। इंद्रियाँ मन और बुद्धि का उस पर निवासस्थान है। यह उनके जरिये जीव के ज्ञान पर छापा मारकर उसे परेशान करता है।
【 40】
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-(2)
अब मालूम होवे कि यही सबब है कि राधास्वामी मत के सच्चे परमार्थी जीवो से संसारी जीवो का मेल दिन दिन कम होता जाता है।
और ऐसी हालत में भी यानी संसार के भोग बिलास और नामवरी और धन और स्त्री और औलाद में उनकी तवज्जह कम देख कर, संसारी जीव अचरज करते हैं और घबरा जाते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि रफ्ता रफ्ता परमार्थी जीव कतई घरबार छोड़ कर दुनियाँ से अलग हो जावे और जो मतलब उनका उससे बरामद होता है वह नष्ट हो जावे।
इस वास्ते तरह-तरह के जतन और उपाय सोचते हैं कि जिससे उस प्रमार्थी कि प्रीति और प्रतीति में खलल आ जावे और वह राधास्वामी मत को छोड़ देवे, या यह कि सत्संग में जाना बंद कर देवे।
और जो उनका कहना कुछ उस पर असर नहीं करता है तो अनेक तरह के दोष सत्संग और सतसंगियों और सतसंगिनों पर लगाकर और अपने मन से नई-नई बदनामी की बातें पैदा करके मशहूर करते हैं, और उनको बदनामी और धमकाते हैं और डराते हैं कि इसी शर्म और खौफ के मारे वह सत्संग छोड़ देंवे। और जो जीव की अभी सतसँग में शामिल नहीं हुए हैं, वह खौफ और बदनामी के सबब से वहाँ के जाने और शामिल होने से परहेज करें और रुक जावे।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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