Monday, February 17, 2020

शाम के सत्संग का बचन /1702-2020





*राधास्वामी!! 17-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-कल से आगे-(60) परोपकार करने के लिये अव्वल योग्यता या अधिकार की आवश्यकता है और अधिकार अपनी आला शक्तियाँ जगाने से आता है और आला शक्तियाँ अमल यानु साधन करने से जगती है इसलिए बुद्धिमान वही मनुष्य है जो पहले अपनी आला शक्तियां जगाने के लिए साधन करता है और साधन पूरा होने पर परोपकार में लगता है। बर्खिलाफ इसके बहुत से लोग, जो न कोई अधिकार रखते हैं, न तजुर्बा बिना जाने या दूसरों से सुने सुनाये काम करके अपने तई परोपकारी कहलाते हैं और इसी में संतुष्ट रहते हैं। यह उनकी भूल है। असली परोपकारी वह है जिसकी समझ में आ गया कि आम लोगों की असली भलाई किस बात में है और जिसमें वह भलाई करने का अधिकार मौजूद है और अगर यह दोनों बातें नहीं है तो जैसे कपड़े रंगा लेने से कोई शख्स असली साधू नहीं बन जाता वैसे ही परोपकार की पोशाक पहन लेने से कोई शख्स असली परोपकारी नहीं बन सकता।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।**


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