प्रस्तुति अनिल/ पुतुल
[21/02, 21:52]
+91 91792 77541:
*मालिक की भक्ति भी एक चुम्बक की तरह होती है,*
जैसे लोहे को जब चुम्बक अपनी ओर खिंचता है तो लोहा उस पर चिपक जाता है,
उसी प्रकार मालिक की भक्ति भी चुम्बक की तरह ही है, जो अपनी ओर खिंचती है और वो भी अपने भक्तों को चिपका लेती है।
*मालिक की भक्ति करोगे तो हमेशा सुखी रहोगे* और
मालिक की भक्ति करना छोड़ दी तो समझो की *जीवन भर पछताना पड़ेगा* और मालिक के गुनहगार बनकर सारा जीवन अंधकार में बिताना पड़ेगा।
इसलिये हमको
*निरंतर मालिक की "भक्ति" व "सेवा" में लगे रहना चाहिए।*
🙏🙏🙏राधास्वामी🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[21/02, 21:52] +91 91792 77541: 👉 *राधास्वामी दयाल की भक्ति*👈
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मालिक की भक्ति का *रस* उतना ही *मीठा* होता है, जितना हम
सतसंग मे *सुमिरन ध्यान सच्चे मन से और चित्त लगाकर करते है।*
*राधास्वामी नाम का सुमिरन* और उनकी *युक्ति का अभ्यास* हमे
नित नियम से और लगातार सुबह और शाम करना चाहिए,
*हमे मालिक की भक्ति के अलावा और किसी की भक्ति नही करनी चाहिए।*
🙏🌹🙏 *राधास्वामी*🙏🌹🙏
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