क्यों सोच करे मन मेरे, प्यारे राधास्वामी हैं रखवारे ।
चल सतगुरू के आधारे, बच जाय काल की धारें ।।टेर।।
क्या देही तेने सम्हाली, जब लटकी गर्भ की नाली ।
वहाँ किसने किया ख़्याली, जब कोई न था आधारे (1)
जब बाहर में तू आया, माता ने दूध पिलाया ।
स्तन के आधार जिलाया, तब कहो तुम्हें कौन सम्हारे (2)
तन बने पृथ्वी जल अग्नि,वायु आकाश में मंगनी ।
ये मिले हैं क्या तोहिं मेंगनी,
उस कर्ता को ले सम्हारे (3)
श्रुत चेतन सत्त की धारा, तू चलता उसके आधारा ।
तेरी देही हो जाय ख़्वारा, जो मिले न एक आधारे (4)
है राधास्वामी सत करतारा, दृढ़ निश्चय लेना धारा ।
अन्तर कर लेना प्यारा, हो जावे बेड़ा पारे (5)
°राधास्वामी"
राधास्वामी प्रीति बानी 5-38
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