ओ स्वामी मेरे , दया करो ना मुझे दीन पर ।
ओ दाता मेरे , दया करो ना मुझ दीन पर ।।टेर।।
बीच भंवर में अटकी नैया ,किससे करूं पुकारी ।
डगमग डगमग मनवा डोले ,हो गई रे लाचारी (१)
कई जन्म ले भरमत डोली ,डूबी नैया मेरी ।
खेवट बनकर आवो स्वामी,बस इक आस तुम्हारी (२)
काम क्रोध ठग ऐसे बैठे ,लूट लूट ले जाई ।
लालच ने मुझको घेरा है,समझ नहीं कुछ पाई (३)
लोभ मोह दुख देते भारी, फिर फिर मैं पछताई ।
कछू समझ नहीं आवे स्वामी,कैसे करूं चतुराई (४)
मन बैरी माने नहीं स्वामी,किस विधि मैं समझाऊं ।
तड़फ रही मैं जग में भारी,दुखड़ा किसे सुनाऊं (५)
घट अन्तर में आकर स्वामी,अनहद शब्द सुनावो ।
जन्म जन्म की प्यासी मैं तो,आकर प्यास बुझावो (६)
* राधास्वामी*
बहन शकुंतला लखेरा चावण्डिया
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