राधास्वामी!!
05-06- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- यथार्थ प्रकाश- भाग पहला-{ राधास्वामी मत की शिक्षा}:- कल से आगे :-
( 8) जब कोई बालक विद्या पढ़ने के लिए पाठशाला में दाखिल होता है तो पहले उसे बचपन की आजादी छोड़कर और इंद्रियों की अनावश्यक क्रियाएँ रोक कर अपने पाठ में पूर्णता ध्यान देना पड़ता है। इसी तरह आध्यात्मिक विद्या के विद्यार्थि को दुनियावी आजादी छोड़कर और शरीर तथा मन की बेजरूरत हरकतें रोक कर अपना ध्यान आध्यात्मिक लक्ष्य पर एक एकाग्र और स्थिर करना होता है, और जो कि मनुष्य के शरीर और मन पर खान-पान, जिंदगी के सामान और ईर्द गिर्द होने वाली घटनाओं का भारी प्रभाव पड़ता है इसलिए राधास्वामी- मत सिखलाता है कि प्रेमी परमार्थी केवल ऐसे सत्तवगुणी पदार्थों का आहार करें जो उसके तन और मन को बेजरूरत और अनुचित कामों के लिए न भड़कावें, और जिंदगी के सामान से केवल कार्यमात्र संबंध रक्खें और अपना समय ऐसे कामों और संग साथ में खर्च करें जो उसके लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हों।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश -भाग 1 -परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
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