**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-
[ सबब का बयान ]
(१) पहला यह संयोग से किसी निपट संसारी से या निंदकों का संग होना और उनके बचन तान और हँसी और परमार्थ के विरोधी या राधास्वामी मत की निंदा के सुन कर मन में भरम या रुखा और फीकापन आ गया और अभ्यास के वक्त वे ही बचन याद आये और उनका असर ऐसा हुआ कि उस वक्त बिरह और प्रेम सूख गया । और जब ऐसा हुआ उसी वक्त मन और सुरत गिर पड़े और रस जाता रहा।।
जतन या इलाज अभ्यासी के हाथ से:- सबब इसका यह है कि अभी भक्ति जरा कच्ची है और सतसंग के बचनों की याद और उनकी समझ भी कम है, नहीं तो चाहिए था कि संसारी और निंदको के बचन का फौरन काटने वाला जवाब देकर उनको चुप कर देता। और उन लोगों के सामने बोलने का मौका नहीं था या उनको जवाब देना मुनासिब न समझा गया , तो चाहिए था कि सत्संग के बचन और परमार्थ में भक्ति की रीती विचार कर उन बातों के असर को अपने दिल से दूर कर देता और कहने वालों को नादान और विरोधी और अभागी समझता और अपने भागों को सराह कर ज्यादा तवज्जुह से अभ्यास में लगता।
इलाज दूसरे के हाथ से या पोथी के पाठ से:- जो इस कदर अपने में ताकत नहीं पाई गई, तो अभ्यासी को मुनासिब है कि इसी किस्म के बचन पोथी सारबचन नसर हो नज्म और प्रेमबानी और प्रेम पत्र में से निकालकर गौर के साथ पढ़े या अपना हाल किसी अपने बड़े या बराबर के सत्संगी के सामने जाहिर करके उससे अपनी तबीयत का इलाज करावे, यानी भरम और अनसमझता को दूर करावे। पोथियों और सत्संगी के बचनों से जरूर मदद मिलेगी और राधास्वामी दयाल की दया से वह भरम और नादानी जल्दी दूर हो जावेगी।
प्रार्थना करें राधास्वामी दयाल के चरणों में:- और जो यह न बने तो भजन या ध्यान में जोर लगावे और वास्ते प्राप्ति दया के प्रार्थना करें। राधास्वामी दयाल अंतर में समझ और सहारा देवेंगे।।
दया का वर्णन:- अब समझो कि ऐसे चक्कर के आने में भी दया है कि जो मन में कचाई और कसर गुप्त धरी हुई थी वह इस तौर पर प्रकट कराके उसका इलाज किया जाता है। फिर कोई आइंदा को वह कचाई और कसर या तो बिल्कुल दूर हो जावेगी या बहुत कम हो जावेगी और उसका इलाज भी मालूम हो जावेगा कि जब जब वह कसर प्रगट होवे तब तब बदस्तूर सत्संगी और पोथियों से मदद लेकर उसको काटे और दूर करें।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏प्रेमपाट्र्स
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