**राधास्वामी!! 16-12-2020-/ आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मेरे प्यारे बहन और भाई। गुरु चरन सरन गह चालो। मन माया का जोर घनेरा।।टेक।।- (सुरत चढी पहुँची दस द्वारे। राधास्वामी चरन धुर धाम निहारे। हुआ सहजहि आज निबेडा।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-4-पृ.सं.55,56)
(2) संत बिन सब जिव आतमघाती।।टेक।। दुर्गति से जो बचना चाहो संत में निश्चय लावो। उनसे राह अगम की पावो जतन करो दिन राती।। संत बिना नहिं सुरत उबारी कोई न जीव उपकारी। संत की महिमा अगम अपारी निज प्रीतम पितु माती।। ) (प्रेमबिलास- शब्द-108-पृ.सं.160,)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
16- 12- 2020- आज शाम सतसंग मे पढा गया बचन- कल से आगे-( 87) उदार्णार्थ नीचे ' दीवान हाफिज' से एक पद उद्धृत किया जाता है। इसका आशय भी ध्यान देने योग्य है:-
ए खुसरुज ए खूबाँ नजरें सूए गदा कुन। रहमें ब मने सोख्ता ए बेसरो पा कुन।।१।।
दारद दिले दरवेश तमन्नाए निगाहे। जाँ चश्म सियह मस्त बयक गमजह दवा कुन।।२।।
गर लाफ जनद माह कि मानद बजमालत। बिनुमाए रुखे खेशो मह अंगुश्तनुमा कुन।।३।।
ऐ सर्वे चमाँ अज चमनो बाग जमाने। बिखराम दरी़ बज्मों दो सद जामह कबा कुन।।४।। शमा ओ गुलो परवाना ओ बुलबुल हमा जमाअन्द। ऐ दोस्त बिया रहम ब तनहाईए मा कुन।।५।।
बादिल शुदगाँ जौरो जफा ताब कै आखिर। आहंगे वफा तरके जफा बहरेखुदा कुन।।६।।मशनौ सखुने दुश्मने बदगोये खुदा रा। बा हाफिजे मिसकीं खुद ऐ दोस्त वफा कुन।।७।।
भावार्थ-हे सौंदर्यशालि- राज! इस भिक्षुक की और एक दृष्टिपात हो और मुझ दीन दग्ध- हृदय पर तनिक करुणा कीजिये। इस दरिद्र का ह्रदय आपकी एक कृपाकटाक्ष के लिए तड़पता है।
दया करके उस मदमत्त देदीप्यमान नयन की सैन से इस दया दृष्टि के लिए आर्त्त (आसक्त) जन की औषधि कीजिये। यदि चंद्रमा अभिमान करें कि वह आपके बराबर सुंदर है तो उसे अपना समुज्जवल कपोल दिखला कर अपमानित और जीत कर दीजिये।
हे सुचारू- रूप से सगर्व झूमने वाले सर्व तरुवर!(एक वृक्ष का नाम) कृपया थोड़ी देर के लिए वन- वाटिका से चलकर हमारी सभा में पधारिये और देखिए कैसे सैकडो सभासद अपने वस्त्र विदीर्ण कर डालते हैं।
दीपक और पतंगा मिल कर बैठे हैं और फूल और बुलबुल परस्पर संगत है। मैं ही एकाफी हूँ। हे मित्र मेरी एकारिता पर तरस करके मेरे निकट पधारिये कि मैं भी आपके साथ मिलकर बैठूँ।
अपने प्रेमियों पर भला कब तक कठोरता और निर्दयता का व्यवहार उचित रखियेगा? अब तो खुदा के लिए कठोरता त्याग करके प्रेम के बदले प्रेम का संकल्प कीजिये। खुदा के लिए मेरी निंदा करने वाले शत्रुओं की बात न सुनिये। प्रार्थी हाफिज के साथ अपने ही विचार से प्रेम निबाहिये।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा -
कल से आगे- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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