**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज- बचन भाग 1- कल से आगे:-(2)- 12 अक्टूबर 1937:-
आज तीसरे पहर आर.ई.आई व टेक्निकल कॉलेज के सीनियर विद्यार्थियों का जलसा हुजूर की सदारत में हुआ। दो शब्दों का पाठ किया गया। एक शब्द था- सुन सुन रह्या न जाय महिमा सतगुरु की।।टेक।। मछली पडी भँवर के माहीं बहती बेबस धार। ठहरन को कहिं ठौर न पावे मछुआ खडा रे किनार।।(प्रेमबिलास- शब्द 117)
पाठ समाप्त होने पर हुजूर ने फरमाया- आजकल भारतवर्ष के युवकों की दशा बेकारी के कारण उपरोक्त कड़ी में लिखी हुई मछली की तरह हो रही है और वे बेचारे अत्यंत निराशा की दशा में है। अतः प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है कि वह अपने जीवन का लक्ष्य तुरंत निश्चित करले व उसकी प्राप्ति के लिए यथाशक्ति प्रयत्न करें और न केवल अपने बल्कि अपनी संगत के लिए लाभदायक सिद्ध हो। हुजूर ने लगभग डेढ़ दर्जन छात्रों को खड़ा करवाया और उनमें से हर एक से पूछा कि "तुमने अपने जीवन के लिए क्या काम चुना है।" उनमें से आधे विद्यार्थी ऐसे थे जिन्होंने अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था। हुजूर ने उनको समझाया कि यह लापरवाही की दशा अत्यंत खराब है ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 शरण आश्रम का सपूत】
कल से आगे:
- इटली में निहायत आला खानदान के लोगों को जबरदस्त सिफारिश पहुँचने पर भी यह ओहदा बमुश्किल तमाम मिलता है।( चियर्ज)।
आपने चार ही महीना काम किया था कि आपको एक जबरदस्त खतरे का मुकाबला करना पड़ा। मगर ऐ शेर मर्द! आफरीं सद आफरीं! तूने अपनी जान हथेली पर रखकर एक अनार्किस्ट को मगलूब किया और शाह इटली की जान बचाई ( चियर्ज) शाह इटली की तरफ से आपको एक लाख लायर्ज नगद (चियर्ज) और एक तमगा " ग्रैण्ड क्रास ऑफ न्यू इटली' का इनाम मिला।( चियर्ज) चूँकि अनाकिर्स्ट को मगलूब करते वक्त आपकी टाँग सख्त मजरुह हो गई थी इसलिए आप को एक साल वहीं रहना पड़ा। सरकारे इटली ने आपकी उम्र भर के लिए पेंशन कर दी और आप को मौका दिया कि मसनूई रेशम का काम बखूबी सीख लें। आज सब काम शान के साथ सरअंजाम देकर आप एक जबरदस्त फत्ताह की तरह दयालबाग लौटे हैं ।(चियर्ज)। हम सब लोग आप को इस बहादुरी व जाँफिशानी के लिए मुबारकबाद देते हैं ।(जोर से चियर्ज)। जो रुपया आपको इनाम में मिला वह सब आपने मसनूई रेशम के कारखाने के लिए मशीनरी में खर्च कर दिया ।(सुनो सुनो )। उम्मीद है कि अगले महीने सब मशीनरी यहाँ पहुँच जायगी और आपकी मदद से सभा इस काबिल होगी कि मसनूई रेशम की साख्त का काम मॉडर्न इंडस्ट्रीज में आला पैमाने पर शुरू कर दिया जाय।( सुनो सुनो )
प्रेमबिहारीलाल! आपकी इस जाँ फिसानी और कुर्बानी से जो फायदा सत्संगी आवाम को होगा वह लफ्जो में बयान करना मुश्किल ब्लिक नामुमकिन है। आप ने वह काम कर दिखाया कि जिसके लिए हर एक सत्संगी भाई और बहन जायज तौर पर फक्र महसूस करते हैं । सभा ने आपकी तालीम व परवरिश पर जरूर काफी रुपया सर्फ किया लेकिन आज आपने उसका हजार गुना- नहीं नहीं - लाख गुना एवज दे दिया है ।(चियर्ज) आप कि इस कुर्बानी की बरकत से सैकड़ों हजारों बच्चे शरणआश्रम में तालीम व प्रवेश पा सकेंगे और सत्संग- मंडली की एक अहम जरूरत बआसानी रवा हो जायगी क्रम से
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज
- प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-( 5)
सवाल- जो मालिक सर्व समरथ है तो आप ही हमारे मन को बदल कर हम से परमार्थ की करनी क्यों नहीं करा लेवें?
जवाब -मालूम होवे कि असल में बिना मालिक के हुकुम या मौज या मर्जी की कोई काम नहीं होता है । जो दयापात्र और अधिकारी जीव है , वह अपनी रोजमर्रा के हालत और दुनियाँ के, हाल को देखकर, आपही अपने मन में सोच विचार करके अच्छे काम और परमार्थ के खोज और कमाई में लग जाते हैं, और उनको मेहर और दया से मालिक बराबर तरक्की के वास्ते मदद देता जाता है । ऐसे लोग कुदरती किताब से बहुत करके हिदायत लेते हैं और फिर उनको, मौज और दया से निज भेद सच्चे मालिक और उससे मिलने की जुगत के बताने वाले सतगुरु भी मिल जाते हैं और उनका कारज दिन दिन बनता जाता है।।
और जो जीव कि आप से नहीं चेतते उनको मालिक अपनी मौज से चेते हुए जीवो की मारफत समझौती देकर होशियार करता है और उनका भी कारज आहिस्ता आहिस्ता बनना शुरू हो जाता है । क्रमशः।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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