**राधास्वामी!! 26-12-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) तुम अब ही सतसंग धारो। बहुर नहिं औसर मिले।।-(वहँ से पहुँचे सतगुरु देशा। राधास्वामी चरन रले।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-4-पृ.सं.63)
(2) जा मंदिर में दासता नहीं दीप उजियास। प्रेमभक्ति और सील का तहाँ न जानो बास।। दास बने कोइ राम का महापुरुष कोइ ख्वास। दासन के जो दास है हम उन चरनन दास।।-(दासातन है सार धन धनी दिये कोइ पाय। खरचे सुख संसार में अन्त धनी अपनाय।।) (प्रेमबिलास-शब्द-112-पृ.सं.169)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी !!
26 -12 -2020-
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 99 )
हम आक्षेपक महाशयों से भी यही प्रार्थना करेंगे कि जरा पूर्वोक्त बातों को सोचें, विचारें और हृदय में सँभाले। यहाँ किसी राधास्वामी-मत के अनुयायी का लेख उपस्थित नहीं किया जा रहा है कि संशय और भ्रम के लिए अवकाश हो। हमारे समक्ष पतंजलि महाराज का सूत्र है। व्यासजी का भाष्य हैं । पंडित राजाराम जी की टिप्पणी है। और गुरुकुल कांगड़ी के मुख्याधिष्ठाता महाशय के प्रकाशित व्याख्या है। इन प्रमाणों से तो यही परिणाम निकलता है कि यदि कोई व्यक्ति योगसाधन करके सचमुच अंतर में सच्चे मालिक से एकता प्राप्त कर चुका है या यों कहिये कि वास्तविक सत्य से मिलकर सत्यस्वरूप हो रहा है और उसमें असल सत्य पूर्ण रीती से प्रतिष्ठित (कायम) है तो उसकी वाणी में ऐसी शक्ति आ जायगी कि किसी मनुष्य के पापकर्म तथा मन और माया की कोई रुकावट उसके बचन की पूर्ति में विघ्नकारक न हो सकेगी। उसकी आज्ञा अटल रहेगी और 'साधबचन पलटे नहीं, पलट जाय ब्रहमांड' के अनुसार वह जिसको आशीर्वाद देगा कि 'कल्याण हो जाय' तो उसका कल्याण अवश्य हो जायेगा।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश -भाग दूसरा- परम गुरु हुजूर साहबजी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏महाराज!**
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