**राधास्वामी!! 18-12-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मेरे प्यारे बहन और भाई। गुरु सतसंग का रस लीजे। अस औसर फिर न मिलेगा।।टेक।।-( राधास्वामी चरन सरन जिन धारी। वहि जन पहुँचे निज दरबारी। अचरज दरशन पाय खिलेगा।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-6-पृ.सं.57,58)
(2) जो जबाँ यारी करे खुल कर सुना आज दिल कोई राग बज्में यार का।।-(तन परस्ती का गरम बाजार है अस्ल आपे से हुआ इनकार है।।) (प्रेमबिलास-शब्द-110 - मसनवी-पृ.सं.161-162)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।**
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!!
18- 12- 2020- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे-(89)
यदि ईश्वर सर्व व्यापक होने से सर्वत्र विद्यमान है तो क्या सतगुरु के शरीर के प्रत्येक प्रमाणु में विद्यमान नहीं है? और यदि स्वामी शंकराचार्य के अद्वैत मत के अनुसार ब्रह्म के अतिरिक्त और कुछ नहीं है तो क्या न केवल सतगुरु प्रत्युत प्रत्येक मनुष्य तथा पशु और पक्षी ब्रह्म सिद्ध नहीं होते ?
फिर खास राधास्वामी- मत ही पर आक्षेप करने का क्या प्रयोजन ? इसके अतिरिक्त पिछले पृष्ठो में भी श्री ग्रंथसाहब से जो शब्द उद्घृत किये गये हैं उनके अर्थ पर विचार करके देखिए कि क्या परिणाम निकलता है। क्या यह नहीं कहा गया है कि:-
ब्रह्मज्ञानी सब सृष्टि का करता। ब्रह्मज्ञानी सद जीवे नहीं मरता।।
ब्रह्मज्ञानी का सगल अकार। ब्रह्मज्ञानी आप निरंकार।।
ब्रह्मज्ञानी को खोजें महेशुर। नानक ब्रह्मज्ञानी आप परमेशुर।।( सुखमणि साहब) हरि हरिजन दुई एक हैं बिब विचार कछु नाही। जल ते उपज तरंग जो जल ही बीखै समाहि।
।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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