Monday, December 21, 2020

दयालबाग़ सतसंग 22/12 सुबह

 **22-12-2020- आज सुबह सतसंघ में पढे गये पाठ:-                                    

 (1) नाम निर्णय करुँ भाई। दुधाबिधी भेद बतलाई।। मिलें गुरु नाम धुन भेदी। सुरत धुन धुनी सँग बेधी।।-(गुरु बिन और बिना करनी।  मिले कस कहो यह रहनी।।) (सारबचन-शब्द-पहला-पृ.सं.227-228)                                                   

   (2) चरन गुरु तन मन क्यों नहिं देत।।टेक।। प्रीति लाय नित करो साध सँग। गुरु के बचन सुनो कर हेत।।-(राधास्वामी मेहर से सुरत चढावें। श्याम तजत पद पावे सेत।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-5-पृ.सं.371,372)                                         

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात- कल से आगे:-


कबीर साहब ने फरमाया है:-" मूरख के समझावने ज्ञान गाँठ का जाये  कोयला होय न उजला सौ मन साबुन लाये।।"                                                 

 हर मुल्क व कौम में हमेशा ऐसे इंसान मौजूद रहते हैं जो दूसरों को दुःखी करके ही खुश होते हैं । ऐसे लोगों की दोस्ती इंसानी ताकत से बाहर है । गीता में इस स्वभाव के लोगों के मुतअल्लिक़ विस्तृत बयान आया है । और बताया गया है कि अंततः लोग सृष्टि के किस हिस्से की रौनक बढ़ाने के काम आते हैं।  क्वेटा, मुल्तान व कराची के सत्संगी भाइयों ने चिट्ठियां भेजी है कि मौसमें गर्मा में इन  मकामात का  दौरा किया जावे। अक्टूबर में   अजमेर जाना है और नवंबर में लाहौर। सवाल यह हो जाता है कि दिन रात समेटने में ठहराव कब है और यहाँ  दया से काम इतना है कि दिन रात समेटने से भी सिमटता  नजर नहीं आता। लेकिन सत्संगी भाइयों का निर्मल प्रेम देखकर उन्हें मायूस करने का भी साहस नहीं होता। अजब मुश्किल का सामना है।

क्रमश:                                       

  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

【शरण आश्रम का सपूत】

 कल से आगे:-                

 जिस खूबसूरती व तन्देही के साथ तुमने इस ओहदे  के फराइज सरअंजाम दिये वह बयान के मोहताज नहीं । अगर तुम चारों तरफ की खबर न रखते और ऐन मौके पर पहुंच कर मेरे दुश्मनों के मंसूबे खाक में न मिलाते तो मेरे प्यारे हमवतनों को एक जानकाह सदमा बर्दाश्त करना पड़ता ।

हमारी गवर्नमेंट तुम्हारी काबिले कदर खिदमात को इज्जत की निगाह से देखती है और तुम्हारे लिए एक लाख लायर्ज का इनाम ग्रान्ड क्रास आफ यंग इटली का तमगा मंजूर करती है।  हमारी ख्वाहिश है कि तुम हर दो इनामात को मंजूर करो।  तुम्हारी टाँग सख्त मजरूह हो जाने से अब तुम मुहक्मा पुलिस के फरायज से सुबुकदोश किये जाते हो लेकिन हेन हयात तुम्हारे तुम्हें पूरी तनख्वाह मिलती रहेगी ।तुम जहाँ चाहो रह सकते हो लेकिन नौजवान इतालिया यह  पसंद न करेगी कि तुम लँगडाते हुए अपने मुल्क वापस जाओ। हमारे सर्जन तुम्हारा इलाज करेंगे। इटालियन सर्जन शुहरए आफाक है। वह उम्मीद करते हैं कि 1 साल के अंदर तुम्हारी टाँग बिल्कुल दुरुस्त हो जायगी। उनकी राय है कि तुम मसनूई रेशम के कारखाने के अंदर अकामतगजी हो । उन कारखानों की हवा मुअत्तिर होने से सेहत जिस्मानी के लिए अजहर मुफीद है। प्रेमबिहारीलाल इतनी इज्जत मुल्के इतालिया में किसी खुशकिस्मती को मिलती है । हम तुमको इस खुशकिस्मती पर मुबारकबाद देते हैं ।(चियर्ज) (बादशाह बैठ जाते है) मजमें में से एक लेडी खडे होकर- आली हुजूर! आज का दिन नौजवान इतालिया के लिए बहुत मुबारक है । हुजूर पुरनूर की रिआया हुजूर को खुशनूद देखकर शाद व आबाद है। खुदायापाक हुजूर पुरनूर को हमेशा हमेशा सलामत रक्खे।  मैं इस खुशकिस्मत नौजवान को जानती हूँ।  मैंने ही इंग्लैंड से इसे यहाँ आने के लिए तरगीब दी थी।( प्रेमबिहारी काउन्टेंस को पहचानता है)            हुजूर पुरनूर अपना दस्ते मुबारक इस नौजवान के सर पर रक्खें और दुआ दें कि यह उन अतियात से, जो हुजूर पुरनूर की  गवर्नमेंट ने इसके लिये मंजूर फरमायें हैं, मुद्दतल्उम्र हो। नौजवान इतालिया इस नौजवान को मुबारकबाद देती है । (प्रेमबिहारी झुक कर सलाम  करता है । बादशाह  अपना हाथ उसके सर पर रखते हैं।)( हुर्रे लगाते हैं जलसा बरखास्त)          

 क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेम पत्र -भाग 1

- कल से आगे -(45 )

【सवालात एक सतसंगी की तरफ से और उसके जवाबात】

-(1)  सवाल बालक गर्भ के अंदर स्वाँस लेता है या नहीं?  जो लेता है तो कैसे उसका निर्वाह होती है और जो नहीं लेता है तो कहाँ और किस हालत में रहता है? 

                                             जवाब:- बालक गर्भ में स्वाँस नहीं लेता है, और सहसदलकँवल के स्थान पर उसका जीव चैतन्य समाधि में रहता है यानी नारायण ज्योति का दर्शन करता है और उस मुकाम का शब्द सुनता है।।                                ( 2 )

 सवाल- बाजे लोग कहते हैं कि आठवें महीने में बालक को गर्भ में भूख और प्यास लगती है और गल्ला का अर्क यानी रस उसे खाने को मिलता है।  जो ऐसा होता है तो मल भी पैदा होता होगा, यह बात सही है या क्या?       

                                              

जवाब- जब बालक का शरीर गर्भ में बनता जाता है तो उसका मसाला माता का खून है। और जब उसकी देह पूरी बन जाती है तब उसको माता की गिजा या आहार का सार, जो अर्क रूप होता है, उसकी देह के बढ़ाव और पुष्ट करने के वास्ते उस नल के रास्ते जो नाभि से लगा होता है, मेदे में पहुँचता है । इस अर्क के हज्म करने में मल बहुत थोड़ा पैदा होता है । और वह उस नाल में, जो मैदे से गुदा  चक्र तक आई है जमा होता है, बल्कि वक्त पैदा होने बालक के दाई थोड़ा मल उंगली से निकाल देती है। क्रमशः                                 

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**Zonal Satsang in the Evening**


No comments:

Post a Comment

बधाई है बधाई / स्वामी प्यारी कौड़ा

  बधाई है बधाई ,बधाई है बधाई।  परमपिता और रानी मां के   शुभ विवाह की है बधाई। सारी संगत नाच रही है,  सब मिलजुल कर दे रहे बधाई।  परम मंगलमय घ...