परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेमपत्र-भाग 1
- कल से आगे -(20 )
मालूम होवे कि हर एक अभ्यासी की हालत ,चाहे मर्द होवे या औरत, मुआफिक उसके
(१) पिछले और हाल के कर्मों के और भी मुआफिक उसके
(२) शौक यानी बिरह और प्रेम के और भी मुआफिक उसके (३) प्रीति और प्रतीति के दर्जे के जुदा-जुदा है । और उसी मुआफिक उसको ध्यान में रस मिलता है, और मन भजन ध्यान और सुमिरन में लगता है ।
इस वास्ते हर एक को चाहिए कि अपनी हालत की निरख परख करता रहे और जिस बात में कसर देखें उसके दूर करने के लिए सचौटी के साथ जतन करता रहे और दया और मेहर की प्राप्ति के वास्ते और कसूरों की माफी के लिए जब तब प्रार्थना भी करता रहे और आइंदा को जिस कदर बने एहतियात और होशियारी भी करता रहे, तो राधास्वामी दयाल की दया से वह कसरें आहिस्ता आहिस्ता दूर होती जावेंगी और कसूर भी कम बन पड़ेंगे और उसी कदर अभ्यास में स्थिरता और रस बढ़ता जावेगा , और 1 दिन सफाई होकर निर्मल आनंद प्राप्त होगा और अपनी तरक्की दिन दिन आप मालूम होती जावेगी। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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