🌹🙏🙏🌹राधास्वामी 🌹🙏
करो री कोई सतसंग आज बनाय ।
नर देही तुम दुर्लभ पाई अस औसर फिर मिले न आय ।।:
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🙏🌹राधास्वामी 🌹🙏
अर्ज सुनो मेरे साईयाँ देव प्रेम की दात ।
दुख सुख कुछ व्यापे नहीं छूटे सब उत्पात ।।
🌹राधास्वामी 🌹
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
मैं चेरी स्वामी तुम्हरे घर की ।
साफ करो बुद्धि मायावर की ।।
तब स्वामी ने दिया दिलासा ।
प्रेम पंख ले उड़े आकाशा ।।
🌹🙏राधास्वामी ?
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🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
गुरु मानुष कर जानते चरणामृत को पान ।
ते नर नरकहिं जायेंगे जनम जनम होय स्वान ।।
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
कोई करो प्रेम से गुरु का संग ।
मन से छल और कपट त्यागो ,प्रेमी जन का धारो ढंग ।
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
🌹🙏गुरु प्यारे की मौज रहो तुम धार ।
🙏🌹राधास्वामी 🌹🙏
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
कोई करो प्रेम से गुरु का संग ।
मन से छल और कपट त्यागो ,प्रेमी जन का धारो ढंग ।
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
: 🌹🙏राधास्वामी 🙏🌹
अधर धाम सतगुरु का डेरा पहुंची खोल किवाड़ ।
कौन कहे महिमा उस घर की अक्षर का दरबार ।।
🙏🌹राधास्वामी 🌹?
🌹🙏राधास्वामी 🌹🙏
जक्त चितावन आये राधास्वामी ।
बार बार तिन करूँ प्रनामी ।।
🙏🌹राधास्वामी 🙏🌹
तन मन सेवा में रहें सेव तुम्हारी होय ।
दया मेहर हम पर रहे और न चाहत कोय ।।
🙏🌹राधास्वामी 🙏?
🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏
दई राधास्वामी वस्तु अपारी,
मेहर अब होगई मुझ पर न्यारी
🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏
: 🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
भूल चूक मेरी चित्त नहीं लाये, आप आय तुम मोहि मिलो री;
बाँह पकड़ मोहि अंग लगाया, चरनकंवल दई ठौरी
🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
: 🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
गुरू धरा सीस पर हाथ, मन क्यों सोच करे;
गुरू रक्षा हर दम संग क्यों नहीं धीर धरे 🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
आए भौजल नाव लगाई हमसे जीवन लिया चढ़ाई
शब्द दृढाया सुरत बताई कर्म भर्म से लिया बचाई
🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹🙏
दीन ग़रीबी धारू चित्त में, सेवा में रहू जागा री; गुरू सत्संग मोहि मिला सहज में, क्या कहूँ मैं बड़ भागा री
🙏🌹🙏राधास्वामी🙏🌹?
🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏
राधास्वामी सब विधि करिहै काज,
सरन पड़े की राखे लाज
🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏
🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏
राधास्वामी चरन सरन गह दृढ़ कर,
इक दिन जाए बसो तुम निज घर
🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏
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