Wednesday, December 16, 2020

रोजाना वाक्यात नाटक प्रेमपत्र

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाक्यात- 22 मार्च 1933- बुधवार :- दिल्ली के अखबार तेज और पुना के अखबार केसरी व ज्ञान प्रकाश ने मॉडल इंडस्ट्रीज दयालबाग की निर्मित वस्तुओं की बहुत तारीफ की है । दोनों मकामों की नुमाइशों में यहाँ से माल भेजा गया है। दुकानों के मैनेजरों ने लिखा है कि पब्लिक यहाँ की चीजों की खूब कदर करती है।                            

  अमेरिका के मशहूर मिस्टर रदरफोर्ड की किताब डिलीवरेंस (Delivereance) का अध्ययन किया।  आपने इंजील पवित्र के बयानात की बुनियाद पर यह किताब रचना की है । 16 लाख से ऊपर कापियाँ प्रकाशित हो चुकी है। किताब में लिखा है- खुदा ने सृष्टि के शुरू में अव्वल लोगोस Logos को पैदा किया।  लोगोस logos का आमतौर तर्जुमा word यानी शब्द किया जाता है।  अंत में वैज्ञानिक शब्द किया जाता है फिर लोगोस ने कुल सृष्टि रची। राधास्वामी मत में भी यही कहा जाता है कि आदि में शब्द प्रकट हुआ और शब्द से सब रचना प्रकट हुई। बकौल-       

                                          

 शब्द ने रची त्रिलोकी सारी शब्द से माया फैली भारी                                                

  रात के सत्संग में बयान हुआ- आम तौर लोग नाम व शब्द को समानार्थी ख्याल करते हैं। लेकिन दरअसल सिर्फ नीजधाम में नाम व शब्द एक है। चुनाँचे सारबचन नज्म में आया है:- " नाम प्रताप सुरत अब जागी, तब चढ शब्द सुनाये".                                                  

 राधास्वामी मत की पुस्तकों में लफ्ज़ " नाम" निज नाम यानी राधास्वामी नाम के लिये प्रयुक्त किया हुआ है। वैसे निज नाम यानी कुल सृष्टि में फैला है लेकिन जहाँ तक माया का फैलाव है वहाँ तक अलावा निज नाम के माया के गिलाफों के शब्द भी प्रकट है। और यह शब्द निज नाम से वैसे ही भिन्न है जैसे रूह की धार की आगमन से प्रकट होने वाले मन के घाट के शब्द, रूह की धार के शब्द से। निज धाम में चूँकि माया का लेस नहीं है इसलिए वहाँ का नाम व शब्द एक ही है।। 


 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-【 शरण आश्रम का सपूत】

 कल से आगे

:- कर्नल- आपका रोमा में आना कैसे हुआ?

 बहन -मेरी बहन,जो इंग्लैंड में है, उनसे इनकी वहाँ मुलाकात हुई। उन्होंने  सिफारिश करके भेजा है। इनका वतन हिंदुस्तान है।

 कर्नल -ओ! मैं अहले हिन्द को बहुत पसंद करता हूँ। उनकी आदत व खसायल यहाँ के लोगों से बहुत मिलती है । सच पूछो तो इटली और इंडिया में तबअन् बहुत मुशाबहत है। अगर कभी नक्शा देखो तो मालूम होगा कि ज्योग्राफिकल पोजीशन भी दोनों मुल्क़ों की एक ही है । अच्छा सीनीयर प्रेमबिहारीलाल! आप सुबह पुलिस में आने से अपने इंपिरियलिस्टिक या पुलिसलाइन्ज में आवें और कल अपनेतईं हिज इम्पीरियल मेजस्टी के मुहक्मा खुफिया पुलिस का एक मुअज्जि मेम्बर तसव्वुर करें। हाजिरी के बाद आपको एक माह की रुखसत दे दी जावेगी। उस वक्त तक आप का जख्म अच्छा हो जावेगा ।

(प्रेमबिहारी अदब से झुक कर सलाम करता है।

( कर्नल साहब हाथ मिलाकर रुखसत  होते हैं)

बहिन- मैं यह सब हाल अपनी बहिन को लिख भेजूँगी। वह जरुर सुनकर निहायत महजूज होंगी।

 प्रेमबिहारी- आपकी नवाजिश है। बहन -(अपनी डाक खोलती है। गैरमामूली तादाद में चिट्ठीयाँ आई है)

 बहन- चीफ कान्सटेबल प्रेमबिहारी!  यह देखो तुम्हारी तारीफ की चिट्ठी है । (दूसरी चिट्ठी खोलती है) यह देखो इसमें भी तुम्हारी मदहसराई है। (तीसरी खोलकर) यह मिस तुम्हे मुबारकबाद भेजती है।।                           

 प्रेमबिहारी-यह सब आपकी ही तारीफ है और आपको ही मुबारकबाद है क्योंकि आप ही के नाम सब चिट्ठियाँ आई है।

 क्रमशः।                     

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेम पत्र -भाग 1-

कल से आगे -(5)

 इस कदर यहाँ पर बयान करना जरूरी है कि बहुत से बारीक और सोच विचार और अक्ल के कामों में सूरत की धार की ज्यादा मदद इंद्री द्वारों पर आती है, क्योंकि बगैर सुरत की धार के कोई आदमी कोई काम और खास करके अक्ल और सोच विचार के काम नहीं कर सकता है । और बाहर से जो धारें अंदर आती है उनमें सुरत की धार कोई कोई और बाकी सब सामान्य चैतन्य की धारे हैं ।                                    

सुरत की कोई कोई धार से मतलब यह है कि जब यह आदमी अपने से विशेष चैतन्य यानी ज्यादा समझवार से मदद लेवे।।                        

और परमार्थ में संत सदगुरु और साद महा चैतन्य पुरुष है । उनसे जब मन और सुरत को ताकत मिलती है उसका तो कुछ बयान नहीं हो सकता।  उसका हाल परमार्थ के सच्चे शौकवाले, जिनको प्रेमी और भक्तजन कहते हैं, खूब जानते हैं कि सत्संग में बैठ कर दर्शन और बचन में किस कदर रस और आनंद प्राप्त होता है ।                             

  क्रमशः

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

[12/16, 04:20] +91 97176 60451: **राधास्वामी!! 16-12-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                     (1) धुन सुन कर मन समझाई।।टेक।। यह धन है धुर लोक अधर की। कोइ पकडें संत सिपाही।।-(सूरज सूरज जोति निरारी। चन्द्र चन्द्र कोटिध छबि छाई।।) (सारबचन-शब्द-9वाँ-पृ.सं.224,225)                                                                (2) सुरत प्यारी झूलत आज हिंडोल।।टेक।। सतगुरु प्रीतम आप झुलावें। गरज गगन अनहद धुन बोल।।-(राधास्वामी गत मत अति कर भारी। कौन कहे उन महिमा खोल।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-29-पृ.सं.368)                                          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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