**राधास्वामी!! 23-12-2020-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) नाम निर्णय करुँ भाई। दुधाबिधी भेद बतलाई।। चाह अनुराग जिस होई। भाग बड गुरुमुख सोई।।-(लगे तब जाय सुन धुन से। गये तब तीन गुन तन से।।) (सारबचन-शब्द-पहला-पृ.सं.228,229)
(2) चरन गुरु मनुआँ काहे न दीन।।टेक।। जग सँग रह क्या करी कमाई। जीव काज कोई जतन न कीन।।-(राधास्वामी दया संग ले अपने। सतपुर जाय सुनो धुन बीन।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-6-पृ.सं.372)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हजूर साहबजी महाराज-
रोजाना वाक्यात- कल से आगे:-
पंजाब के एक शहर में एक प्रेमिन बहन रहती थी। जिसने हाल ही में पूरी उम्र पाकर इंतकाल किया। उसके पुत्र ने लिखा है कि माताजी ने मरते वक्त फरमाया कि मेरी राख और अस्थियाँ दयालबाग भेज देना ताकि वहाँ की शमशान भूमि के कुएँ में डाल दी जावें।
इसमें शक नहीं कि प्रेमिन बहन की वसीयत श्रद्धा से भरी है लेकिन उसके भीतर वहम भी धरा है। अजी! जब तुम मर गये यानी अपने खाकी जिस्म से हमेशा के लिए अलग हो गये और पीछे बचे हुए संबंधी ने उस जिस्म को जलाकर खाक कर दिया फिर तुम्हारा उसमें बंधन कैसा?
यह तुम्हारी राख दरिया ए सतलज में डाल दी गई तो क्या, दयालबाग के श्मशान भूमि के कुएँ में डाल दी गई तो क्या ? यह दुरुस्त है कि हमारा फर्ज है कि अपने बुजुर्गों की राख व अस्थियों को हवा में उड़ने और पांव तले पडने से सुरक्षित कर दें।
लेकिन स्पष्ट रहें कि किसी शख्स की राख व अस्थियाँ दयालबाग की सरजमीन में दाखिल होने से उसकी रूह को कोई नफा हासिल नहीं होगा। तुम अपनी रूह राधास्वामी दयाल के हवाले करने कि फिक्र करो।
और मुट्ठी भर मिट्टी की फिक्र छोड़ दो। हिंदू भाई अपने बुजुर्गों व अजीजो की अस्थियाँ दरियाये गंगा में दाखिल करना पुण्य समझते हैं । सत्संगीयों का इसका अनुकरण करके दयालबाग की श्मशान भूमि के कुए को "हर की पैढी" बनाने का ख्याल नापसंदीदा है।
दयालबाग की बस्ती के एक कोने पर शमशाध भूमि बनाई गई हैं । जिसके चारों तरफ काँटेदार तार और पेड़ स्थापित किये गए हैं । मुर्दा जलाने के लिए खास किस्म का इंतजाम किया गया है । जिसकी मदद से दो चार घंटे के अंदर ही लाश जलकर खाक हो जाती है। श्मशान भूमि के एक तरफ एक कुआँ खुदा है जिस पर टीन का ढक्कन लगा है। चिता की राख ठंडी हो जाने पर राख व अस्थायाँ उस कुएं में डाल दी जाती है।
यह सब इंतजाम इसलिये किया गया है कि किसी दिवंगत भाई की लाश का निरादर न हो। लेकिन अफसोस सतसंगी भाई इस कुएँ को खास रूहानी महत्व देने लगे ! उम्मीद है कि इस तहरीर के मुताअला से सत्संगी भाइयों के दिल से सब वहम निकल जाएंगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 शरण आश्रम का सपूत】
- कल से आगे:-[ पांचवा दृश्य]
( काउन्टेस का बाग)
काउन्टेस- प्रेमबिहारीलाल! अब तो तुम्हारी सब आरजूएँ पूरी हो गई।
प्रेमबिहारी -आपके तुफैल से मेरा बेड़ा पार लगने को है। अगर उस शाम को आप मुझे तसल्ली न देती और अपनी बहन के नाम कार्ड देकर इटली आने के लिए तरगीब न देती तो मेरा कहाँ ठिकाना था। मैं आपका एहसान कभी न भूलूँगा । आप की लुत्फभरी निगाहें मुझे बखूबी याद है । सच तो यह है कि अगर मैंने शाह इटली की जान बचाई है तो आपने शाह इटली की जान बचाने वाले की जान बचाई है ।
काउन्टेस- मर्द औरतों की मुरव्वतों को जल्द भूल जाया करते हैं।
प्रेमबिहारी- लेकिन यह नाचीज़ ऐसे जुर्म का हरगिज मुर्तकिब न होगा।
काउन्टेस- अब तो आपकी टाँग बहुत कुछ दुरुस्त हो गई है और मसनूई रेशम का सब काम भी बखूबी सीख लिया।
प्रेमबिहारी- जब किसी पर मालिक मेहरबान होता है और आप जैसे फरिश्ते उसके निगाहबान होते हैं तो उसके सभी काम बखूबी अंजाम पा जाते हैं। मेरा इरादा अनकरीब इंडिया लौटने का है मेरे 3 वर्ष पूरे होने वाले हैं।
काउन्टेस- काश मुझ पर खुदा ऐसे मेहरबान होता और मुझे भी कोई निगहबान मिल जाता ! नहीं मैंने गलत कहा। खुदा तो मुझ पर मेहरबान है लेकिन फरिश्ता मेरी जानिब से लापरवाह है।
प्रेमबिहारी-( फिकरमन्द हो कर) अफसोस आप जैसी नेकसीरत खातून को भी फिक्रें दामनगीर हैं।
क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेम पत्र- भाग 1-
कल से आगे-(3)
सवाल -कोई कोई कहते हैं कि बालक को गर्भ में पिछले जन्मों की याद रहती है, लेकिन पैदा होने के वक्त वह याद भूल जाती हैं । यह बात किस कदर सही है और भूल क्योंकर होती है?
जवाब - जो कि बालक के जीव की बैठक गर्भ में सहसदलकवँल के मुकाम पर होती है, वहाँ उसको सब जन्मों का हाल आईना के मुआफिक साफ नजर आता है। और उस वक्त वह पक्का इरादा करता है कि सिवाय मालिक के चरणों की भक्ति के दूसरा काम नहीं करूँगा। पर जब जीव यानी सुरत उसकी वक्त पैदाइश के देह में नीचे के मुकाम पर उतर आती है, वहाँ तमोगुण के सबब से अंधकार छाया रहता है और वह सब याद बालक को भूल जाती है। और दुनियाँ में आकर जैसा उसके पिछले कर्मों के मुआफिक संग मिलता है और जैसा मन का मसाला वह संग लाता है, उसी मुआफिक उसका स्वभाव और आदत होती है जाती है और वैसे ही कार्रवाई करता है।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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