20/12 भंडारा / आरती के समय पढा गया बचन
कुल मालिक सत्तपुरुष राधास्वामी बड़े दयाल हैं। जो जीव कि सच्चे मन से सरन में आया, उसकी सम्हाल हर तरह से अपनी मेहर से आप फ़रमाते हैंबचन और जब तक कि उसको दयाल देश में नहीं पहुँचावेंगे, तब तक उसको नहीं छोड़ेंगे। इस वास्ते जो उनकी चरन सरन और सतसंग में आये हैं, उनको अपने मन में यक़ीन रखना चाहिये कि राधास्वामी दयाल उनके जीव का कारज एक दिन ज़रूर बनावेंगे और जब तक वह निज देश में न पहुँचें, तब तक उनके अंग संग रह कर उनकी हर तरह से सम्हाल और रक्षा और परमार्थ की तरक़्क़ी फ़रमाते रहेंगे।
(प्रेमपत्र भाग 2, ब.6, पैरा 19)
संत रूप धर राधास्वामी प्यारे ।
आय जगत में जीव उबारे ।। 1।।
राधास्वामी चरन सरन जिन धारी ।
राधास्वामी तिनको लीन उबारी ।। 3।।
राधास्वामी मेहर मिला धुर धाम ।
पाया राधास्वामी अचरज नाम ।।15।।
राधास्वामी चरन किया बिसराम ।
राधास्वामी कीना पूरन काम ।।16।।
(प्रेमबानी भाग 2, ब.10(1), श.1)
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