**राधास्वामी!! 09-02-2021- आज सुबह सतसँग में पढे गये पाठ:-
(1) गुरु चेला ब्योहार जगत में। झूठा बर्त रहा।।-(गुरु चेला पाखंडी कपटी। चौरासी में दोऊ गया।।) (सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं.260)
(2) सखी आज देखो बहार बसंत।।टेक।। चलो घर श्याम धाम पारा। खिली जहाँ नित फुलवार बसंत।।-(जो जिव जग से उबरा चाह़े। राधास्वामी नाम जपें निज मंत।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-53-पृ.सं.403)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज-
भाग -1- कल से आगे:-( 25)- 28 अप्रैल, 1940-
आज स्कूल के विद्यार्थियों को इंडस्ट्रीज में लगाने के बारे में हुजूर ने फरमाया- संभवतः आप साहबान में से बहुत कम सज्जन ऐसे होंगे जिनके पास इस कदर पूंजी हो जो आपके अपने बाकी जीवन और आपकी संतान की भावी शिक्षा-दीक्षा और पालन-पोषण के लिए काफी हो।
अलबत्ता आप में से ऐसे साहबान निकल सकते हैं जिनके पास इस कदर रुपया हो जो अपने बाकी जीवन के निर्वाह के लिए काफी हो। इस समय आप भाई साहबान ने जो हाथ उठाये उनसे पता चलता है किसी दूसरी ही किस्म के कुछ सत्संगी सत्संग में मौजूद है, और ज्यादा ऐसे हैं जो बिना काम काज किये या कमाये हुए अपनी बाकी जिंदगी आराम से बसर नहीं कर सकते।
लेकिन चूँकि आप लोगों में से हर एक की बाकी उम्र अपने लड़कों की बाकी उम्र से कहीं कम है इसलिये बेहतर होगा कि लड़कों के रोजगार के लिये काम किया जाय। इससे यह नतीजा निकला है कि हमारी संगत के व्यक्तियों के पास अपने बच्चों की शिक्षा व दीक्षा और पालन-पोषण के लिए रुपया नहीं है।
चूँकि जमाना निहायत नाजुक है और बेरोजगारी का दौर चल रहा है इसलिए अगर इस समय से ही हमने अपने बच्चों की शिक्षा व पालन- पोषण का उचित व पर्याप्त प्रबंध नहीं किया तो फिर भविष्य में उनको सख्त तकलीफ का सामना करना पड़ेगा।
शायद आप यह कहें कि अभी तो आप कमाते हैं और जब तक आप कमा रहे हैं उस समय तक इस प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है लेकिन मैं आपसे इस बारे में सहमत नहीं होऊँगा ।आप वृद्ध हैं और आपके बाकी उम्र आपके बच्चों की अपेक्षा निश्चय ही कम है।
इसलिये आप इस कदर नहीं कमा सकते तो आपकी संतान की भाभी आवश्यकताओं के लिये पर्याप्त हो। यह दुरुस्त हो सकता है कि जब तक आप जीवित हैं उस समय तक आपको और आपके संबंधियों को कोई कष्ट न हो लेकिन संभवतः बाद को उनको कष्टों का सामना करना पड़ेगा। इसलिये बुद्धिमानी इसी में है कि आप अपनी चिंता करने के बजाय अपनी संतान को इस योग्य बनाने की कोशिश करें कि वह अपने निर्वाह के लिए काफी रुपया कमाने के योग्य हो जावें।।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
-[ भगवद् गीता के उपदेश]
- कल से आगे:-
इसलिये हे भारत कुल में श्रेष्ठ! अव्वल इंद्रियों को बस करते इस पाप के पुतले और अक्ल व इल्म के दुश्मन का खात्मा कर। कहा जाता है कि इन्द्रियाँ बडी ताकतवर है और इंद्रियों से ज्यादा ताकतवर मन है और मन से ज्यादा ताकतवर बुद्धि है लेकिन आत्मा बुद्धि से भी बढ़कर ताकतवर है।
इसलिए आत्मा को बुद्धि से बढ़कर यानी बलवान् समझकर आत्मा के बल से मन को बस में ला और इस कामरूपी महाबली दुश्मन का संहार (खात्मा) कर ।
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क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज
-प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-(3)-
अनेक तरह की निंदा की बातें जो यह लोग बनाते हैं और मर्द और औरतों को लेकर बेतकल्लुफ सुनाते हैं , इस जगह तफसील के साथ कहना फजूल समझकर सिर्फ दो चार बातें, कि जिन पर यह साहब ज्यादा जोर देते हैं, लिखी जाती है कि जिससे सच्चे परमार्थी को खासकर और आम परमार्थियों को भी, उन बातों की असलियत मालूम हो जावे कि आया वह निंदा में दाखिल हो सकती हैं, या ऐन परमार्थ की चाल है, और भक्ति मार्ग में जरूर दरकार है और पुराने से पुराने वक्तो से सब मतों में जारी हैं।
(१)- पहला जात पाँत का भेद- परमार्थ में आम तौर पर, और भक्ति मार्ग में खास कर, जात पाँत का भेद करना पाप में दाखिल है। यह वचन है कि- जात पात पूछे नहीं कोय। हर को भजै सो हर का होय। बड़े-बड़े महात्मा जो पिछले वक्त में हुए और जिनको कल हिंदू बड़ा मानते हैं, जैसे वशिष्ठ जी और ब्यासजी और नारद जी और सूत पौराणिक अब मालूम करो कि इनकी क्या जात थी।
वशिष्ट जी गणिका (वेश्या) के पुत्र थे, ब्यास जी मच्छोदरी (मछली पकड़ने वाले) के, और नारद जी और सूत जी दासी सुत थे। फिर परमार्थ की कमाई करके इनकी किस कदर महिमा बढी कि अब तक इनको सब कोई बड़ा मानते हुए और अपने वक्त में यह बड़े-बड़े महात्माओं के गुरु हुए और उनकी बानी अबतक सब लोग मानते हैं और भाव के साथ पढ़ते और सुनाते हैं ।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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